राजनीति की चौसर पर विरोधियों की रणनीति का अनुमान लगाकर चाल चलने में माहिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पहली बार बड़ी चूक कर गए है। उनके किसान पुत्र होने के दावे पर ही सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि सड़कों पर उतरे किसानों पर गोलियां दागी गई हैं, नतीजतन किसान हिंसक हो गए हैं।
राज्य में बीते 11 वर्षो से चौहान मुख्यमंत्री हैं। इस दौरान उन्होंने अपने को किसानों के बीच उनका सबसे बड़ा हमदर्द बताने का कोई भी मौका नहीं गंवाया। यही कारण रहा कि चौहान के मुख्यमंत्रित्व काल में हुए सभी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भाजपा को बड़ी कामयाबी मिली।
शिवराज के 11 साल के कार्यकाल पर नजर दौड़ाई जाए तो एक बात साफ है कि उन्होंने पार्टी के भीतर अथवा विपक्ष में विरोधियों को हर मौके पर ठिकाने लगाया। बाबू लाल गौर को हटाकर चौहान को जब मुख्यमंत्री बनाया गया तब लोगों के मन में कई सवाल थे। क्योंकि गौर को हुबली प्रकरण के चलते उमा भारती के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री बनाया गया था। लिहाजा लोगों को लगता था कि उमा फिर मुख्यमंत्री बनेंगी।
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मुख्यमंत्री बनने के बाद चौहान ने सबसे पहले गौर को कमजोर किया और उमा भारती के लिए ऐसी स्थितियां बना दी कि उन्हें भाजपा से बाहर जाना पड़ा। उमा जब पार्टी में लौटीं तो उन्हें राज्य की राजनीति में ही सक्रिय नहीं होने दिया। ताकतवर मंत्री रहे कैलाश विजयवर्गीय के प्रभाव को देखते हुए कुछ ऐसी ब्यूह रचना की कि विजयवर्गीय केंद्र की राजनीति में चले गए।
वरिष्ठ पत्रकार अरविंद मिश्रा कहते हैं, 'चौहान राजनीति के चतुर खिलाड़ी हैं। व्यापमं घोटाले में कांग्रेस ने उन पर भरपूर हमले किए और सीबीआई जांच के पीछे पड़ी रही, मगर चौहान को जब लगा कि सीबीआई के पास मामला जाने में उनकी भलाई है तो उन्होंने खुाद सीबीआई जांच की पहल कर दी।'
चौहान के करीबी कहते हैं कि वह बगैर किसी तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त किए अपनी चाल चलते रहते हैं। नर्मदा नदी में अवैध खनन को लेकर कांग्रेस शोर मचा रही थी तो उन्होंने नर्मदा संरक्षण की यात्रा शुरू कर दी।
राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा का कहना है, 'इस आंदोलन के दौरान चौहान की असली छवि सामने आ गई। उन्होंने भारतीय किसान संघ के जरिए किसानों के आदोलन को खत्म करने की साजिश रची, मगर वह उसमें कामयाब नहीं हुए। उल्टा किसानों का गुस्सा और बढ़ गया।'
शर्मा चौहान को प्रशासनिक तौर पर असफल नेता करार देते हुए कहते हैं कि वह पूरी तरह एस. के. मिश्रा, विवेक अग्रवाल, मनोज श्रीवास्तव जैसे एक दर्जन अफसरों से घिरे हुए हैं, जो चौहान का उपयोग उसी तरह करते हैं, जैसे राजशाही के दौरान दरबारी मूर्ख राजा का उपयोग करते थे।
पूर्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक विजय वाते का मंदसौर गोली चालन को लेकर कहना है, 'पुलिस शौकिया तौर पर तो गोली चलाती नहीं है, कोई मजबूरी रही होगी, अपना बचाव करने की स्थिति आ गई होगी। जिलाधिकारी गोली चालन का आदेश नहीं देने की बात कह रहे हैं तो गोली क्यों चली, यह जांच से पता चलेगा।'
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विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह शिवराज को इमोशनल ब्लैक मेलर करार देते हैं। उनका कहना है, 'बीते 11 वर्षो से शिवराज किसानों को सब्जबाग दिखाते रहे हैं, मगर किसानों को कुछ नहीं मिला। किसानों यह आंदोलन वास्तव में शिवराज की वादाखिलाफी और इमोशनली ब्लैकमेल के खिलाफ एक सशक्त अभिव्यक्ति है।'
राज्य में एक जून से चल रहा किसानों का आंदोलन लगातार उग्र होता जा रहा है। किसान इस आंदोलन को 10 जून तक जारी रखने पर आमादा हैं। इस आदोलन से जहां किसानों की नाराजगी सामने आई, वहीं आम जन भी परेशान हो रहा है और उसे सब्जी, फल व दूध के लिए परेशानी उठाना पड़ रही है।
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Source : IANS