मां ने बेटे को किसान बनाने के लिए छोड़ दी 90 हजार की नौकरी, जानें क्यों उठाया कपल ने ये कदम

राजेंद्र सिंह और उनकी पत्नी चंचल कौर उन्हीं लोगों में से एक हैं जिन्होंने सरकारी नौकरी और मोटा वेतन छोड़कर गांव में रहना मंजूर किया...क्योंकि उन्हें अपने बच्चे को किसान बनाना था.

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nitu pandey
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मां ने बेटे को किसान बनाने के लिए छोड़ दी 90 हजार की नौकरी, जानें क्यों उठाया कपल ने ये कदम

मां ने बेटे को किसान बनाने के लिए छोड़ दी 90 हजार की नौकरी( Photo Credit : द बेटर इंडिया)

पैसा...गाड़ी...घर और शहरी चकाचौंध अमूमन हर जिंदगी की ख्वाहिश होती है. शहर में रहने के लिए वो गांव को भूलते जा रहे हैं. लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो चकाचौंध की जिंदगी छोड़कर हरियाली के बीच रहना पसंद करते हैं. राजेंद्र सिंह और उनकी पत्नी चंचल कौर उन्हीं लोगों में से एक हैं जिन्होंने सरकारी नौकरी और मोटा वेतन छोड़कर गांव में रहना मंजूर किया...क्योंकि उन्हें अपने बच्चे को किसान बनाना था. पढ़कर हैरानी हो रही होगी कि लोग अपने बच्चे को डॉक्टर...इंजीनियर..पायलट और ना जाने क्या-क्या बनाना चाहते हैं.

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लेकिन किसान कोई अपने बेटे को बनाना चाहता है ऐसा सुनने को मिलता नहीं है. लेकिन राजेंद्र और चंचल उन माता-पिता में शामिल हैं जो अपने बच्चे का भविष्य स्वच्छ हवा, स्वच्छ पानी और हरियाली के बीच देखना चाहते हैं.

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'द बेटर इंडिया' के मुताबिक 54 साल के राजेंद्र सिंह इंडियन रेलवे में कार्यरत हैं. जबकि उनकी पत्नी चंचल सरकारी स्टाफ नर्स हुआ करती थीं. चंचल की सैलरी 90 हजार थी. लेकिन उन्होंने नौकरी छोड़ दी. दोनों इंदौर के पास एक गांव में डेढ़ एकड़ जमीन खरीदी...जहां वो अपने बेटे को किसान की ट्रेनिंग दे रहे हैं.

राजस्थान के अजमेर के रहने वाले कपल 2017 में बेटे गुरुबक्ष के साथ इंदौर में शिफ्ट हो गए. यहां पर गुरुबक्ष की माता-पिता पद्मश्री डॉ जनक पलटा से जैविक खेती की ट्रेनिंग ली. इसके साथ ही सोलर कुकिंग, सोलर ड्राईंग और जीरो-वेस्ट लाइफस्टाइल जीने की कला भी सीखी.

हालांकि कपल को भी यह चिंता हुई कि 11 साल का उनका बेटा जो शहर में रहने का आदि है वो गांव में कैसे एडजस्ट करेगा. वो इस बदलाव से कैसे डील करेगा. लेकिन माता-पिता के इस कदम को ना सिर्फ गुरुबक्ष ने स्वीकारा, बल्कि गांव की जिंदगी उसे बहुत रास आ रही है.

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गुरुबक्ष जैविक खेती से लेकर हर काम में मम्मी का हाथ बंटाता है. गांव में उसके कई दोस्त भी बन गए हैं, जिन्हें वो सोलर कुकिंग या खेती के तरीके सिखाता है. इसके साथ ही वो खुद जैविक खेती में पारंगत हो रहा है. इसके साथ ही वो अपनी पढ़ाई भी जारी रखे हुए हैं.

कपल का कहना है कि भले ही हम किसी बड़े शहर में रहकर अच्छा पैसा कमा रहे हों. लेकिन इसके बावजूद भी हम साफ हवा और स्वच्छ पानी के लिए तरसते हैं. ऐसे में पैसा कमाने का फायदा क्या जब आपका भविष्य ही सुरक्षित नहीं. उन्होंने कहा कि इस वजह से अपने बेटे को अलग जिंदगी जीने का फैसला लिया. वह एक साफ हवा और स्वस्थ्य जिंदगी तो जी सकता है.

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