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इजराइल में 'मोसाद' की निगरानी में पीएम मोदी की सुरक्षा, ये हैं दुनिया की टॉप 5 खतरनाक खुफिया एजेंसी

भारत के आजाद होने और इजरायल बनने के बाद नरेंद्र मोदी पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो इजराइल की यात्रा पर हैं

Updated on: 05 Jul 2017, 10:27 PM

highlights

  • इजरायल में पीएम मोदी की सुरक्षा कर रहा है मोसाद
  • दुनिया के टॉप खुफिया एजेंसियों में एक है मोसाद

नई दिल्ली:

इजराइल अपनी आंतरिक और बाहरी सुरक्षा के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। भारत के आजाद होने और इजरायल बनने के बाद नरेंद्र मोदी पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो इजराइल की यात्रा पर हैं। ऐसे में पीएम मोदी पर आतंकी खतरों को देखते हुए इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद की निगरानी में उनकी सुरक्षा सुरक्षा हो रही है।

इजराय दौरे पर भी पीएम की आंतरिक सुरक्षा एसपीजी के हाथों में है। मोसाद दुनिया भर में अपने खुफिया तरीके से दुश्मनों को धूल चटाने के लिए जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो मोसाद की नजरों में चढ़ जाता है उसकी मौत निश्चित होती है। जानते हैं दुनिया के ऐसे पांच सुरक्षा एजेंसियों के बारे में जो अपने देश की रक्षा में कुछ भी कर गुजरने की क्षमता रखते हैं

इजराइल में मोसाद

इजराइल बनने के बाद 13 दिसंबर 1949 को मोसाद (इंस्टीट्यूट फॉर इंटेलीजेंस एंड स्पेशल ऑपरेशन इजरायल) की स्थापना हुई थी। मोसाद का पहला डायरेक्टर वहां के प्रधानमंत्री डेविड बैन गुरैना के कार्यकाल में ही हुआ था। मोसाद का मुख्य काम अपने देश के खिलाफ होने वाले आतंकवाद से लड़ना, खुफिया जानकारी जुटाना, और अपने नागरिकों या नेताओं के खिलाफ कहीं भी रची जाने वाली साजिशों के मास्टरमाइंड को मौत की नींद सुलाना है। मोसाद को अपने काम में बेहद माहिर माना जाता है।

भारत में रॉ (RAW)

भारत में विश्व के किसी भी कोने से होने वाले संभावित खतरों से बचाने की जिम्मेदारी खुफिया संगठन रॉ (रिसर्च एंड एनालिसिस) पर है। रॉ को दुनिया भर के कुछ ताकतवर खुफिया एजेंसियों में एक माना जाता है। रॉ की स्थापना भारत सरकार ने 1968 में हुई थी। भारत में रॉ सिर्फ देश के प्रधानमंत्री को ही रिपोर्ट करता है। रॉ का काम विदेश में भारत के खिलाफ होने वाली गतिविधि, आतंकी वारदात और अपराध पर नजर बनाए रखना और उसको रोकना है। इस काम में रॉ की मदद इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) करती है।

अमेरिका में CIA

अमेरिका में दूसरे देशों और देश के अंदर होने वाले संभावित खतरों से निपटने का जिम्मा सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी यानि की सीआईए पर है। सीआईए का गठन 1947 में हुआ था। सीआईए के जासूसी नेटवर्क को अमेरिका में ही नहीं पूरे विश्व में सबसे ज्यादा मजबूत और ताकतवर माना जाता है। सीआईए की मदद के लिए अमेरिका में डीआईए, एफबीआई और एनएसए जैसे संगठन भी बनाए गए हैं। सीआईए का काम साइबर हमलों से लेकर आतंकीवादी हमलों तक से अमेरिका को बचाना है।

पाकिस्तान में ISI

इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस यानि की ISI हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी है। भारत में होने वाले आतंकी हमलों को शह देने का आरोप भी ISI पर लगता रहा है। पाकिस्तान बनने के तुरंत बाद साल 1948 में आईएसआई का गठन का किया गया था। आईएसआई का मुख्यालय इस्लामाबाद के शहराह ए सोहरावर्दी में है। आईएसआई पाकिस्तान की सुरक्षा के नाम पर भारत के खिलाफ षड़यंत्र रचने का काम करता है।

चीन में MSS

एशिया में तेजी से अपना दबदबा बनाते चीन की वैश्विक खतरों से सुरक्षा का जिम्मा मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्यूरिटी एमएसएस पर है। एमएसएस की स्थापना 1983 में हुई थी। इस एजंसी का काम आतंकी हमलों से देश को बचाने के साथ ही राजनीतिक रूप से देश को सुरक्षा प्रदान करना भी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत के आजाद होने के 70 साल बाद पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो इजराइल के दौरे पर गए हैं।