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देश में आग दुर्घटनाओं में 3 लाख लोगों की मौत ( सांकेतिक चित्र)
देश में साल 2001 से 2014 के बीच आग लगने से होने वाली दुर्घटनाओं में तीन लाख लोगों की मौत हो गई। आग लगने से औसतन 59 मौतें प्रतिदिन हुई। देश में आग दुर्घटनाओं पर लगाम लगाने, जानमाल के नुकसान को कम करने और संपत्ति की क्षति को रोकने के लिए 'ईमा' ने पहल की है।
आग सुरक्षा पर उसने पहला सम्मेलन मुंबई में किया जिसमें 400 विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया।
इंडियन इलेक्ट्रिल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन (ईमा) ने देश में आग दुर्घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए मुंबई में 29 जून को एक सम्मलेन का आयोजन किया जिसमें उद्योग और आग सुरक्षा से जुड़े 400 विशेषज्ञों ने विचार-विमर्श किया और करीब 30 पेपर पेश किए गए।
ईमा के अध्यक्ष श्रीगोपाल काबरा ने आईएएनएस से बातचीत में राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के हवाले से गुरुवार को कहा, 'साल 2001 से 2014 के बीच देश में आग लगने की दुर्घटनाओं में करीब 3 लाख लोगों की मौत हो गई, जिसमें अकेले महाराष्ट्र में 24 फीसदी मौतें हुईं। यह चिंता की बात है।'
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काबरा ने यहां चुनिंदा पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा, 'भुवनेश्वर में अक्टूबर 2016 में एक अस्पताल में आग लगने से 20 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी और 120 अन्य लोग झुलस गए थे। इस मामले में प्राथमिक रिपोर्ट से पता चला था कि आग शार्ट सर्किट के कारण लगी थी। एक अनुमान के अनुसार करीब 85 फीसदी आग दुर्घटनाएं शार्ट सर्किट से होती हैं। ऐसे में हमें ध्यान रखना चाहिए कि हम बिजली उपकरण की गुणवत्ता से समझौता न करें, उसका इंस्टालेशन सही तरीके से हो और उचित रखरखाव हो।'
काबरा ने कहा कि ईमा देश में आग लगने के कारणों पर रोक लगाना चाहती है और इसके लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकार और अन्य प्राधिकारणों को जल्द ही अपना प्रस्ताव पेश करेगी।
ईमा के महानिदेश सुनील मिश्रा ने कहा, 'मुंबई में हुए सम्मेलन में देशभर से 44 अग्निशामक अधिकारी (फायर आफिसर), करीब इतने ही फायर सेफ्टी इंस्पेक्टर सहित अन्य विशेषज्ञ एवं उद्योग जगत के लोग शामिल हुए। आग लगने के कारणों पर रोक लगाने के लिए राष्ट्रीय भवन निर्माण संहिता को भी सख्ती से लागू करने की जरूरत है।'
एनसीआरबी की 'भारत में दुर्घटना से मौत और आत्महत्या' रिपोर्ट में आग से होने वाली दुर्घटनाओं को मुख्यत: इलेक्ट्रिकल शार्ट सर्किट, दंगा/आगजनी, पटाखेबाजी, गैस सिलिंडर/चूल्हा फटना और अन्य वर्ग के अंदर रखा गया है। इसमें हर साल आग से दुर्घटना के ढेर सारे मामले अन्य वर्ग के अंतर्गत आते हैं।'
साल 2001 से 2014 के बीच कुल 3.16 लाख आग से हुई दुर्घटनाओं को दर्ज किया गया। सबसे अधिक आग से दुर्घटना का साल 2011 रहा जिसमें 26,343 मामले दर्ज किए गए। साल 2001 से 2004 में आग लगने की दुर्घटनाओं में गिरावट दर्ज की गई।
इसके बाद साल 2004 से लगातार इसमें बढ़ोतरी हो रही है। साल 2011 तक हर साल इनमें तेजी आई। इसके बाद 2012 से 2014 तक इसमें गिरावट दर्ज की गई।
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Source : IANS