मोरबी के राजा ने 3.5 लाख रुपए की लागत से बनवाया था पुल, जानिए इससे जुड़ी दिलचस्प बातें
गुजरात मोरबी जिले में स्थित मोरबी पुल हादसे ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है
highlights
- मोरबी पुल का निर्माण 1879 में मोरबी के राजा ने करवाया था
- इस पुल को बनाने में 3.5 लाख रुपए की लागत लगी थी
- ब्रिटेन से आया था पुल के निर्माण का सामान
New Delhi:
Morbi Bridge Collapsed: गुजरात के मोरबी जिले में स्थित मोरबी पुल हादसे ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है. इस हादसे के बाद मची चीख पुकार अब तक लोगों के जहन में बनी हुई है. महज 100 लोगों की क्षमता वाले इस पुल पर 400 से ज्यादा लोग पहुंच गए और इनमें से कई लोग काल का निवाला बन गए. हादसे के बाद केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक हर स्तर पर काम किया जा रहा है, लेकिन हादसा इतना बड़ा है कि इसके जख्म भरने में लंबा वक्त लग सकता है. मोरबी पुल की बात करें तो ये गुजरात के फेमस टूरिस्ट स्पॉट में से एक तो था ही साथ ही इससे जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां भी हैं. आइए जानते हैं कि ये पुल कब,किसने और कैसे बनाया?
कब बना मोरबी पुल?
गुजरात का मोरबी पुल मोरबी जिले में ही बना है. इस हैंगिंग कैबल ब्रिज का निर्माण मच्छू नदी पर किया गया. इस पुल को मोरबी के राजा ने 143 वर्ष पहले बनवाया था.
मोरबी पुल से जुड़ी खास बातें
- मोरबी पुल का निर्माण 1879 में मोरबी के राजा ने करवाया था
- इस पुल को बनाने में 3.5 लाख रुपए की लागत लगी थी
- मोरबी पुल का उद्घाटन मुंबई के गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने किया था
- यह पुल 1.25 मीटर चौड़ा जबकि, 230 मीटर लंबा था.
ब्रिटेन से आया था इस पुल का साजो सामान
मोरबी के इस ऐतिहासिक पुल को गुजरात के टूरिस्ट स्पॉट्स में ही गिना जाता था. दरअसल आजादी से पूर्व इस पुल को बनाया गया था, यही वजह है कि, इस पुल को बनाने के लिए पूरा साजो सामान ब्रिटेन से आया था.
राजा प्रजावत्सल्य वाघजी ठाकोर ने बनवाया था मोरबी ब्रिज
मोरबी ब्रिज का निर्माण तात्कालानी राजा प्रजावत्सल्य वाघजी ठाकोर ने करवाया था. बताया जाता है कि, राज महल से राज दरबार तक जाने के लिए राजा इस हैंगिंग केबल ब्रिज का इस्तेमाल करते थे. उस वक्त में बना ये मोरबी पुल इंजीनियरिंग का जीता जागता नमूना भी था.
इंजीनियरिंग के बेजोड़ नमूने के साथ-साथ मोरबी पुल भारत के सबसे पुराने पुलों में से भी एक था. लेकिन अपने निर्माण के 143 साल बाद इस पुलिस के साथ जुड़ गया एक कड़वा सच. 30 अक्टूबर 2022 को दर्जनों जिंदगियां इसी पुल के टूटने से मौत के आगोश में समा गईं. हालांकि हादसे को लेकर जांच बैठा दी गई, कुछ कार्रवाई भी हुई, मुआवजों का भी ऐलान किया गया है, लेकिन इस ऐतिहासिक पुल की अच्छी यादों के साथ हमेशा के लिए एक काला धब्बा भी इस ब्रिज के साथ जुड़ गया.
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