सीपीआईएम नेता सीताराम येचुरी ने बुधवार को राज्यसभा में साम्प्रदायिकता के खतरे को उठाते हुए कहा कि भारत में एक 'हिन्दू पाकिस्तान' नहीं बनाना चाहिए। वे राज्यसभा में भारत छोड़ों आंदोलन के 75वें सालगिरह के मौके पर विशेष चर्चा में भाग लेते हुए बोल रहे थे।
येचुरी ने पिछले महीने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा अगले 5 सालों में इन समस्याओं से निपटने को लेकर दिए गए बयानों को उल्लेखित किया। जिसमें मोदी ने 1942 से 1947 के सालों को बहुत ही निर्णयकारी बताया था।
येचुरी ने कहा, 'महाशय, अब वह लक्ष्य क्या है? 1947 में हम आजाद हो गए। हम सभी को गर्व है... उन 5 सालों में हमने भारत के विभाजन को भी देखा। हमलोगों ने ब्रिटिशर्स के द्वारा किए किए सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को भी देखा, जो हमें दुर्भाग्यपूर्ण विभाजन में खड़ा कर दिया। इसलिए अगर आप उन 5 सालों का जिक्र कर रहे हैं, यह एक अशुभ चिन्ह भी है। यह एक काला बादल भी है।'
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केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने येचुरी के कथन पर तुरंत आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने बेरोजगारी, शिक्षा आदि चीजों की बात की थी। उन्होंने कहा, 'यह एक गलत कथन है... यह ऑन रिकॉर्ड जा रहा है और मुझे बिल्कुल आपत्ति जतानी चाहिए। आज एक पवित्र दिन है, उन्हें प्रधानमंत्री के विरूद्ध नहीं बोलना चाहिए।'
बुधवार को राज्यसभा के उपसभापति पी जे कुरियन ने भी सीताराम येचुरी को विवादों को दूर रखने की सलाह दी।
आपको बता दें कि सीताराम येचुरी की राज्यसभा सदस्यता अगले हफ्ते खत्म होने वाली है। उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री ने खुद सांप्रदायिकता के भारत छोड़ने की बात कही थी। मैं उसी सांप्रदायिकता की बात करना चाहता हूं। मैं पूछना चाहता हूं कि क्या हमलोग इसे खत्म करने के लिए कुछ कर भी रहे हैं।'
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उन्होंने कहा कि हमार संविधान में धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र को जैसी चीजों को स्थापित किया गया था। इसके अलावा कहा कि हमें भारतीय गणतंत्र के लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्षता को मजबूत करने के लिए आंदोलन करना होगा, न कि भारत में एक 'हिन्दू पाकिस्तान' बनाने के लिए।
येचुरी ने कहा कि वर्तमान नव उदारवादी आर्थिक नीतियां बेरोजगारी और गरीबी में वृद्धि कर रही हैं तथा अमीर और गरीब के बीच की खाई को और चौड़ा कर रही हैं। उन्होंने कहा, 'साल 2014 में जीडीपी का 49 फीसदी भारत की एक फीसदी आबादी के पास था और अब जीडीपी का 58.4 फीसदी महज एक फीसदी लोगों के हाथों में है। क्या इसी भारत का 1947 में सपना देखा गया था, जब हम आजाद हुए थे?'
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HIGHLIGHTS
- येचुरी ने सांप्रदायिकता को खत्म करने के प्रयासों को लेकर पीएम पर उठाए सवाल
- जीडीपी का 58.4 फीसदी महज एक फीसदी लोगों के हाथों में है: येचुरी
- वर्तमान नव उदारवादी आर्थिक नीतियां बेरोजगारी और गरीबी में वृद्धि कर रही हैं
Source : News Nation Bureau