किसानों के लिए खुशखबरी, केरल में मानसून ने समय से पहले दी दस्तक

मानसून धीमे-धीमे आगे बढ़ रहा है। इसके साथ ही समय पर बारिश होने से किसान और मछुआरे बेहद खुश हैं।

मानसून धीमे-धीमे आगे बढ़ रहा है। इसके साथ ही समय पर बारिश होने से किसान और मछुआरे बेहद खुश हैं।

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Sonam Kanojia
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किसानों के लिए खुशखबरी, केरल में मानसून ने समय से पहले दी दस्तक

तय समय से दो दिन पहले केरल पहुंचा मानसून (फाइल फोटो)

गर्मी से परेशान देश के लिए अच्छी खबर है। दक्षिण-पश्चिम मानसून ने मंगलवार को केरल और नॉर्थ ईस्ट में समय से पहले दस्तक दे दी है।

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केरल तट के अलावा मणिपुर और अरुणाचल में भी पहली फुहार से लोगों ने राहत की सांस ली। बता दें कि केरल में मानसून के पहुंचने की संभावना 1 जून को जताई गई थी, लेकिन तय समय से दो दिन पहले ही बारिश शुरू हो गई है। 

पिछले दो सालों से सूखे की मार झेल रहे देश की अर्थव्यवस्था के समय से पहले मानसून का आना राहत की खबर है। 

मौसम विभाग ने इस बार झमाझम बारिश की संभावना जताते 96 फीसदी बारिश होने की भविष्यवाणी की है। मानसून धीमे-धीमे आगे बढ़ रहा है। इसके साथ ही समय पर बारिश होने से किसान और मछुआरे बेहद खुश हैं।

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राज्य में हुई जोरदार बारिश

मानसून के पहुंचने से पहले ही सोमवार को राज्य में जोरदार बारिश हुई थी। आईएमडी ने कहा कि केरल के अलावा लक्षद्वीप, तटीय कर्नाटक, तमिलनाडु के कुछ हिस्सों और पूर्वोत्तर राज्यों के अधिकांश हिस्सों में भी मानसून अगले 24 घंटों में दस्तक देगा।

जून के पहले हफ्ते में केरल पहुंचता है मानसून

आईएमडी के दिल्ली कार्यालय के अनुसार, आमतौर पर जून के पहले हफ्ते में केरल में मानसून दस्तक देता है। आईएमडी के अधिकारी एम महापात्रा ने कहा, 'केरल के लिए इसके पहले का अनुमान पांच जून था।'

केरल में मानसून के पहुंचने की सामान्य तिथि पहली जून थी और 2005 से आईएमडी ने तिथि के लिए संचालनगत अनुमान जाहिर करने शुरू किए। इस बीच बंगाल की खाड़ी पर बने चक्रवाती तूफान 'मोरा' कोलकाता के दक्षिण-पश्चिम पूर्व 660 किलोमीटर पर स्थित था। मंगलवार को वह बांग्लादेश का चटगांव पार कर गया।

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कैसे बनता है मानसून

गर्मियों में जब हिंद महासागर में सूर्य विषुवत रेखा के ठीक ऊपर होता है, तब मानसून बनता है। इस प्रक्रिया में समुद्र गर्म होने लगता है। जब धरती का तापमान 45-46 डिग्री तक पहुंच जाता है तो समुद्र का तापमान 30 डिग्री होता है। ऐसी स्थिति में हिंद महासागर के दक्षिणी हिस्से में मानसूनी हवाएं सक्रिय हो जाती हैं। ये हवाएं एक-दूसरे को क्रॉस करते हुए विषुवत रेखा पार कर एशिया की तरफ बढ़ने लगती हैं।

इसी बीच समुद्र के ऊपर बादल बनने की भी प्रक्रिया शुरू हो जाती है। हवाएं और बादल विषुवत रेखा पार कर बंगाल की खाड़ी और अरब सागर की तरफ मुड़ जाते हैं। देश के कई हिस्सों का तापमान समुद्र तल के तापमान से ज्यादा हो जाता है। ऐसे में हवाएं जमीन की तरफ बहना शुरू कर देती हैं। जैसे ही वह जमीन पर आती हैं, बारिश होने लगती है।

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Source : News Nation Bureau

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