अधिकारों के साथ ही कर्तव्य और अनुशासन का भी पालन करें : मोहन भागवत

अधिकारों के साथ सभी अपने कर्तव्य और अनुशासन का भी पालन करें, तभी ऐसे भारत का निर्माण होगा, जो दुनिया और मानवता की भलाई को समर्पित हो.

अधिकारों के साथ सभी अपने कर्तव्य और अनुशासन का भी पालन करें, तभी ऐसे भारत का निर्माण होगा, जो दुनिया और मानवता की भलाई को समर्पित हो.

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Nihar Saxena
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अधिकारों के साथ ही कर्तव्य और अनुशासन का भी पालन करें : मोहन भागवत

मोहन भागवत ने गणतंत्र दिवस पर गोरखपुर में याद दिलाए कर्तव्य और धर्म.( Photo Credit : न्यूज स्टेट)

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने गणतंत्र दिवस (Republic Day) के अवसर पर यहां रविवार को झंडारोहण किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि राजा के पास अधिकार हैं, लेकिन अधिकारों के साथ ही अपने कर्तव्य और अनुशासन का भी सभी पालन करें. भागवत ने यहां आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि देश को स्वतंत्र कराने वाले क्रांतिकारियों के सपनों के अनुरूप भारत (India) बनाने के लिए राजा के पास अधिकार हैं, लेकिन अधिकारों के साथ सभी अपने कर्तव्य और अनुशासन का भी पालन करें, तभी ऐसे भारत का निर्माण होगा, जो दुनिया और मानवता की भलाई को समर्पित हो.

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आरएसएस अपनों के लिए जीता है
उन्होंने कहा, 'समर्थ, वैभवशाली और परोपकारी भारत के निर्माण को ध्यान में रखकर गणतंत्र दिवस मनाया जाता है. कर्तव्य बुद्धि से किया गया कार्य ही इस लक्ष्य को प्राप्त कराएगा. देश और विश्व उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ेगा.' उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनों के लिए जीता है और समाज में सबसे नीचे पायदान पर खड़े लोग ही उसके अपने हैं. उन्होंने कहा, 'रावण भी ज्ञानवान था, लेकिन उसके सोचने की दिशा गलत थी और एक राष्ट्र का विनाश हो गया. इसलिए विद्या का उपयोग ज्ञान-ध्यान में करें. बल का उपयोग दुर्बलों की रक्षा और धन का उपयोग गरीबों की सेवा में करें.'

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कड़ी मेहनत से प्राप्त समृद्धि ही सही
संघ प्रमुख ने कड़ी मेहनत कर समृद्धि अर्जित करने को सही बताया और कहा कि भारत 'वसुधैव कुटुम्बकम' के भाव को आदिकाल से लेकर चल रहा है, इसलिए इसका उपयोग संसार के सभी जरूरतमंदों के हित मे किया जाना चाहिए. इस दौरान उन्होंने 'वैभवशाली, समर्थ और परोपकारी भारत' का आह्वान किया. कार्यक्रम के अंत में 'वंदे मातरम' का गान किया गया.

HIGHLIGHTS

  • अधिकारों के साथ कर्तव्य और अनुशासन का सभी पालन करें.
  • कर्तव्य बुद्धि से किया गया कार्य ही लक्ष्य को प्राप्त कराएगा.
  • भारत 'वसुधैव कुटुम्बकम' के भाव को आदिकाल से लेकर चल रहा है.
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