logo-image

'विश्व गुरु' बनने के लिए प्राचीन गौरव और सच्चाई स्थापित करनी होगी

अतीत में भारतीय संस्कृति के बारे में लगातार कई प्रकार के झूठ बोले गए जिससे आम लोग भ्रमित हो गए. उन्होंने कहा कि ऐसा ही एक झूठ सरस्वती नदी के अस्तित्व के बारे में भी फैलाया गया.

Updated on: 02 Mar 2022, 09:58 AM

highlights

  • सबसे पहले शिक्षा व्यवस्था में लाया जाए सुधार
  • प्राचीन भारत की सच्चाई से कराया जाए रूबरू
  • प्राचीन भारतीय संस्कृति पर लगातार बोला गया झूठ

नई दिल्ली:

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने कहा है कि भारत को 'विश्व गुरु' बनाने के लिए इसके प्राचीन गौरव और सच्चाई को स्थापित करना होगा. नई दिल्ली में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र द्वारा प्रकाशित 'द्विरूपा सरस्वती' पुस्तक का विमोचन करते हुए संघ (RSS) प्रमुख ने राम सेतु (Ram Setu) का उदाहरण देते हुए कहा कि लोग तो श्रद्धा के कारण भरोसा कर लेंगे, लेकिन विद्वानों को सबूत देना पड़ेगा और साबित करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि इस दुष्प्रचार को खारिज करने के लिए सरकार अपने तरीके से काम कर रही है, लेकिन जनता को एकजुट होना पड़ेगा. 

भारतीय संस्कृति पर झूठ बोल किया गया भ्रमित
उन्होंने कहा कि अतीत में भारतीय संस्कृति के बारे में लगातार कई प्रकार के झूठ बोले गए जिससे आम लोग भ्रमित हो गए. उन्होंने कहा कि ऐसा ही एक झूठ सरस्वती नदी के अस्तित्व के बारे में भी फैलाया गया. उन्होंने कहा कि जब हम राम सेतु की बात करते थे तो लोग इसे गप्प समझते थे, लेकिन राम सेतु को लेकर सबूत सामने के बाद सब कुछ साफ हो गया. आधुनिक शिक्षा की कमियों पर बोलते हुए भागवत ने कहा कि हमारी शिक्षा प्रणाली आस्था को बढ़ावा नहीं देती है इसलिए इतने सालों से चली आ रही शिक्षा व्यवस्था छात्रों को हर चीज पर सवाल उठाने के लिए प्रेरित करती है. उन्हें हमारी विरासत पर विश्वास नहीं करने के लिए मजबूर करती है. इसलिए नई पीढ़ी को हर चीज का सबूत चाहिए.

यह भी पढ़ेंः रूस-यूक्रेन जंग: बाइडेन बोले- पुतिन ने स्वतंत्र विश्व की जड़ें हिलाईं, चुकानी होगी कीमत

भारत के गौरवपूर्ण इतिहास की सच्चाई सामने लाएं
इसी तरह से पौराणिक सरस्वती नदी को लेकर फैलाये गए कुप्रचार का जिक्र करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि इसी नदी के किनारे ही भारत की प्राचीन संस्कृति का बड़ा भाग विकसित हुआ. उन्होंने कहा कि सरस्वती नदी से हमारा अस्तित्व और इतिहास जुड़ा हुआ है, लेकिन सरस्वती नदी के अस्तित्व को बार-बार नकारने के प्रयास होते रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस दुष्प्रचार को खारिज करने के लिए सरकार अपने तरीके से काम कर रही है, लेकिन जनता को एकजुट होना पड़ेगा. इस तरह के दुष्प्रचार के प्रभाव को दूर करने के लिए संघ प्रमुख ने प्रमाण के साथ पाठ्यपुस्तकों में भारत के गौरवपूर्ण इतिहास की सच्चाई को सामने लाने की वकालत करते हुए कहा कि इसके लिए शोध कार्य और पुस्तक लेखक होने चाहिए. उन्होंने बल देते हुए कहा कि अगर भारत को विश्व गुरु बनना है तो इसके प्राचीन गौरव और सच्चाई को प्राचीन काल से ही स्थापित करना होगा.