मशहूर गीत "सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा" रचने वाले मोहम्मद इक़बाल का जन्म 9 नवम्बर, 1877 को सियालकोट (अब पाकिस्तान) में हुआ था. वह एक आधुनिक भारतीय प्रसिद्ध मुसलमान कवि थे. उनकी अधिकांश रचनाएं फ़ारसी में हैं. उनका मत था कि इस्लाम धर्म रूहानी आज़ादी की जद्दोजहद के जज़्बे का अलमबरदार है और सभी प्रकार के धार्मिक अनुभवों का निचोड़ है. वह कर्मवीरता का एक जीवन्त सिद्धान्त है, जो जीवन को उद्देश्यपूर्ण बनाता है.
मोहम्मद इक़बाल के पिता का नाम शेख़ नूर मोहम्मद था, जो पेशे से दर्जी थे. माता का नाम इमाम बीबी था. मोहम्मद इक़बाल ने तीन विवाह किए थे. पहली शादी करीम बीबी से, दूसरी शादी सरदार बेगम से तीसरी शादी मुख़्तार बेगम के साथ किया था. इक़बाल ब्रिटेन और जर्मनी में पढ़ने के बाद हिन्दुस्तानी सरज़मीं पर लौटे आये. मुल्क में भ्रष्टाचार और गुलामी का अंदेशा इक़बाल ने पहले ही लगा लिया था. उन्होंने इस बारे में लिखा था -
"वतन की फ़िक्र कर नादां, मुसीबत आने वाली है
तेरी बरबादियों के चर्चे हैं आसमानों में,
ना संभलोगे तो मिट जाओगे ए हिंदोस्तां वालों
तुम्हारी दास्तां भी न होगी दास्तानों में."
उनका मानना था कि यूरोप धन और सत्ता के लिए पागल है. इक़बाल ने ही सबसे पहले 1930 ई. में भारत के सिंध के भीतर उत्तर-पश्चिम सीमाप्रान्त, बलूचिस्तान, सिंध तथा कश्मीर को मिलाकर एक नया मुस्लिम राज्य बनाने का विचार रखा, जिसने पाकिस्तान के विचार को जन्म दिया. इक़बाल की काव्य प्रतिभा से प्रभावित होकर ब्रिटिश सरकार ने इन्हें 'सर' की उपाधि प्रदान की थी. 21 अप्रैल, 1938 को मोहम्मद इकबाल की मृत्यु हो गई थी.
Source : News Nation Bureau