मोदी-शाह ने अजीत पवार-देवेंद्र फडणवीस सरकार की पटकथा पहले ही लिख ली थी, याद करें पीएम का बयान
इस अचंभित करने वाले राजनीतिक उठा-पटक की भीतरखाने पटकथा हफ्तों पहले से लिखी जा चुकी थी. संभवतः इस कड़ी में राज्यसभा के 250वें सत्र में पीएम मोदी की एनसीपी की तारीफ करना 'शह-मात' के इस खेल की एक चाल थी.
highlights
- अजीत पवार ने हवा में ही नही लिया होगा देवेंद्र फड़णवीस को समर्थन का निर्णय.
- पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की त्वरित बधाई सबूत की पटकथा पुरानी है.
- पीएम मोदी ने एनसीपी की तारीफ कर संभवतः इसी जुगलबंदी की ओर इशारा किया था.
New Delhi:
इसका दूर-दूर तक किसी को अंदेशा नहीं था. लोग शनिवार सुबह जब सोकर उठे तो उन्हें पता चला कि महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस बतौर मुख्यमंत्री शपथ ले चुके हैं. अजीत पवार उनके डिप्टी हैं. बड़े-बड़े राजनीतिक पंडित भी महाराष्ट्र में रातों रात हुए सबसे बड़े सियासी उठापटक से अचंभित थे. एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार जैसे 'घाघ' राजनीतिज्ञ के लिए भी किसी भारी सदमे से कम नहीं था यह घटनाक्रम. हालांकि जिस तरह पलक झपकते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने फडणवीस सरकार को बधाई दी. उससे साबित होता है कि इस अचंभित करने वाले राजनीतिक उठा-पटक की भीतरखाने पटकथा हफ्तों पहले से लिखी जा चुकी थी. संभवतः इस कड़ी में राज्यसभा के 250वें सत्र में पीएम मोदी की एनसीपी की तारीफ करना 'शह-मात' के इस खेल की एक चाल थी, जो संभवतः शरद पवार के लिए नहीं अजीत पवार के लिए थी.
अजीत पवार को हल्के में नहीं लें
सांप निकल गया और लकीर पीटते रहे कि तर्ज पर एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार और शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने भले ही बाद में प्रेस कांफ्रेस में अजीत पवार को 'गद्दार' करार दे एनसीपी-कांग्रेस-शिवसेना की ही सरकार बनाने का दावा किया हो, लेकिन इतना तय है कि बाजी इस 'बेमेल गठबंधन' के हाथ से निकल चुकी है. अजीत पवार ने परिवार और महत्वाकांक्षा की लड़ाई में चाचा शरद पवार को 'बड़ा झटका' दिया है. माना जा रहा है कि अजीत पवार दल-बदल कानून से लेकर बाकी संवैधानिक परंपराओं से अच्छे से वाकिफ होंगे. ऐसे में अगर ऐन मौके अजीत पवार ने पाला बदला तो वह 'क्षणिक उत्साह' से भरा निर्णय नहीं रहा होगा. उस पर मोदी और शाह की त्वरित बधाई इस बात का पुख्ता सबूत है कि 'राजनीति के चाणक्यों' ने सिर्फ हवा में ही यह फैसला नहीं लिया है.
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पीएम मोदी ने बयान में दिए थे संकेत
अब राजनीतिक पंडित राज्य सभा में 250वें सत्र के दौरान एनसीपी की तारीफ के निहितार्थ नए सिरे से निकाल रहे हैं. प्रधानमंत्री का वह बयान चीख-चीख कर कह रहा है कि मोदी-शाह की जोड़ी ने इस पटकथा को लिखने की शुरुआत सप्ताह भर पहले कर दी थी. गौरतलब है कि पीएम मोदी ने कहा था संसदीय परंपराओं के पालन में एनसीपी और बीजद से सबक सीखना चाहिए. उनसे सीखना चाहिए कि बगैर 'वेल' में जाए अपनी बात कैसे कही जाती है और विभिन्न मसलों पर खुलकर राय रखी जाती है. यही हुआ भी बगैर किसी 'शोरगुल' के अजीत पवार ने देवेंद्र फडणवीस तक अपने 'समर्थन' देने की बात पहुंचा दी. नतीजतन बड़बोले संजय राउत समेत शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और 'घाघ' शरद पवार पिटा सा मुंह लेकर रह गए और सिर्फ 'बयानवीर' भर रह गए हैं.
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