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एससीओ बैठक में बोले मोदी- कट्टरता है शांति, सुरक्षा और विश्वास में कमी की प्रमुख वजह

एससीओ के मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिन अहम मुद्दों को उठाया उसमें एक्सट्रेमिज्म, रेडिकलिज्म, ट्रस्ट डिफिसिट और कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट जैसे मसले अहम रहे.

Updated on: 17 Sep 2021, 03:26 PM

highlights

  • मोदी ने कहा- मध्य एशिया उदारवादी और प्रगतिशील संस्कृतियों का गढ़ 
  • कट्टरता से निपटने के लिए साझी रणनीति बनाने का आह्वान किया
  • मध्य एशिया के लिए कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स की जरूरत पर जोर दिया

 

नई दिल्ली:

एससीओ के मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिन अहम मुद्दों को उठाया उसमें एक्सट्रेमिज्म, रेडिकलिज्म, ट्रस्ट डिफिसिट और कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट जैसे मसले अहम रहे. अफगानिस्तान को केंद्र में रखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने मध्य एशिया में बढ़ते रेडिकलिज्म और एक्सट्रेमिज्म का जिक्र किया और उससे निपटने के लिए साझी रणनीति बनाने का आह्वान किया. प्रधानमंत्री ने इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि मध्य एशिया का क्षेत्र moderate और progressive cultures और values का गढ़ रहा है. सूफ़ीवाद जैसी परम्पराएं यहां सदियों से पनपी और पूरे क्षेत्र और विश्व में फैलीं. प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका मानना है कि इस क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और आपसी भरोसे की कमी है और इन समस्याओं का मूल कारण बढ़ता रेडिकलाजेसन है.

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मध्य एशिया के लिए कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स की जरूरत पर जोर

प्रधानमंत्री मोदी ने लैंड लॉक्ड मध्य एशिया के लिए कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स की जरूरत पर जोर दिया, लेकिन बिना चीन और cpec का नाम लिए इस तरह के कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट पर अपनी आपति भी दर्ज की. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोई भी कनेक्टिविटी की पहल वन वे पहल नहीं हो सकती. इसमें सभी देशों की टेरिटोरियल इंटिग्रिटी का सम्मान निहित होनी चाहिए.

पीएम ने यूपीआई, रुपये कार्ड और कोविन का किया जिक्र

बैठक में पीएम मोदी ने रुपये कार्ड, यूपीआइ और कोविन का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, चाहे वित्तीय समावेशन बढ़ाने के लिए यूपीआइ और रुपेय कार्ड जैसी तकनीक हों, या कोविड से लड़ाई में हमारे आरोग्य-सेतु और कोविन जैसे डिजिटल प्लेटफार्म्स इन सभी को हमने स्वेच्छा से अन्य देशों के साथ भी साझा किया है. पीएम ने कहा, "मध्य एशिया की इस धरोहर के लिए एससीओ को कट्टरपंथ से लड़ने का एक साझा टेंपलेट बनाना चाहिए. भारत में और एससीओ के लगभग सभी देशों में, इस्लाम से जुड़ी उदाहरवादी, सहिष्णु और समावेशी संस्थाएं और परम्पराएं मौजूद हैं. एससीओ को इनके बीच एक मजबूत नेटवर्क विकसित करने के लिए काम करना चाहिए. इस सन्दर्भ में मैं एससीओ के रैट्स मैकेनिज्म (RATS mechanism) द्वारा किए जा रहे उपयोगी कार्यों की प्रशंसा करता हूं."