केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए बातचीत के दरवाजे खोले हैं। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पूर्व आईबी चीफ दिनेश्वर शर्मा सभी पक्षधरों से बातचीत करेंगे।
केंद्र के फैसले का जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने स्वागत किया है तो वहीं पूर्व वित्त और गृहमंत्री पी चिदंबरम ने इसे विपक्ष की जीत बताया।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा, ''बातचीत नहीं' से 'सभी पक्षों से बातचीत', यह उन लोगों की बड़ी जीत है जो जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक समाधान की पैरवी करते हैं।'
From "No talks" to "Talks with all stakeholders" is a major victory for those who had strongly argued for a political solution in J&K.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) October 23, 2017
उन्होंने कहा, 'वार्ताकार नियुक्ति के साथ सरकार ने अंतत: मान लिया कि 'ताकत के दम पर' जम्मू-कश्मीर में समस्या का हल नहीं किया जा सकता है।'
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जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) नेता उमर अब्दुल्ला ने केंद्र के फैसले के बाद कई सवाल पूछे हैं।
उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'जम्मू-कश्मीर में एनआईए जांच का क्या मतलब है? एनआईए जांच निलंबित किया जाएगा, क्या बातचीत के लिए बंद हुर्रियत नेताओं पर जांच बंद होगी?'
What does this mean for the NIA investigation in J&K? Will investigation be suspended to facilitate dialogue with detained Hurriyat leaders? https://t.co/zcNYVu7lso
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) October 23, 2017
उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा, 'जम्मू एवं कश्मीर में लोगों की 'वैध आकांक्षाओं' का सूत्रीकरण दिलचस्प है। इसका निर्णय कौन करेगा कि क्या वैध है?'
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, 'कश्मीर मुद्दे के राजनीतिक प्रकृति को स्वीकार करना उन लोगों की करारी हार है जिनका मानना है कि मसले का हल केवल बलप्रयोग है।'
वहीं जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा, 'जम्मू-कश्मीर में सभी पक्षों से बातचीत के लिए वार्ताकार नियुक्त किये जाने के केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत है।'
उन्होंने कहा, ''बातचीत की पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 15 अगस्त के भाषण, 'ना गोली से, ना गाली से, कश्मीर की समस्या सुलझेगी गले लगाने से' के आधार पर है।''
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Source : News Nation Bureau