250 साल में पहली बार अंग्रेजी रक्षा भूमि नीति में होगा सुधार, ये होंगे बदलाव
रक्षा भूमि सुधार कानूनों (defense land reform laws ) की दिशा में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi government) ने बड़ा कदम उठाया है
highlights
- रक्षा भूमि सुधार कानूनों की दिशा में केंद्र सरकार का बड़ा कदम
- 250 साल पुराने अंग्रेजी कानून में किया जा रहा बड़ा बदलाव
- छावनी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली जमीनों को लेकर बड़ा फैसला
नई दिल्ली:
देश में लंबे समय से लंबित रक्षा भूमि सुधार कानूनों (defense land reform laws ) की दिशा में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi government) ने बड़ा कदम उठाया है. इसके अंतर्गत सशस्त्र बलों से सार्वजनिक परियोजनाओं या अन्य गैर सैन्य गतिविधियो के लिए खरीदी गई जमीन की एवज में उनके लिए उसी कीमत के बुनियादी ढांचे यानी DVI के विकास की अनुमति दी जाएगी. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अंग्रेजों ने 1965 में बंगाल के बैरकपुर में पहली छावनी बनाई थी. यही वजह है कि अंग्रेजी हुकूमत (British rule) में भारत में सेना ( Indian Army ) के अतिरिक्त किसी भी उद्देश्य के लिए रक्षा संबंधी जमीन को इस्तेमाल नहीं किया जा सकता था.
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गवर्नर जनरल-इन-काउंसिल ने 1801 में आदेश जारी किया
इसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी के गवर्नर जनरल-इन-काउंसिल ने 1801 में आदेश जारी किया कि छावनी स्थित कोई भी बंगला या क्वार्टर चाहे वो सेना से संबंधित न भी हो, को किसी व्यक्ति को बेचा जाएगा. हालांकि 2021 में इस नीति में कुछ बदलाव भी किए गए. अब क्योंकि केंद्र सरकार रक्षा भूमि सुधार की दिशा में प्रयासरत है, इसलिए छावनी बिल 2020 को फाइनल टच देने पर काम किया जा रहा है. सरकार ने इसके पीछे छावनी क्षेत्र में विकास पर जोर देना बताया है. रक्षा मंत्रालय के एक गुप्त सूत्र ने बताया कि मुख्य पब्लिक प्रोजेक्ट्स जैसे मेट्रो, रेलवे और फ्लाईओवर के निर्माण के लिए आवश्यक्तानुसार जमीन तभी उपलब्ध कराई जाएगी, जब उसका बाजार मूल्य दिया जाएगा या फिर अन्य स्थान पर उतनी ही जमीन दी जाएगी.
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8 परियोजनाओं की पहचान की गई
नई नियमावली के अनुसार ऐसी 8 परियोजनाओं की पहचान की गई है, जिनको प्राप्त करने वाला पक्ष संबंधित सेवा के समन्वय से बुनियादी ढांचा प्रदान कर सकता है. इनमें अन्य परियोजनाओं के साथ ही निर्माण इकाइयां और सड़कों को भी शामिल किया गया हैं. नए नियमों के अनुसार छावनी क्षेत्रों के तहत वाली भूमि की कीमत स्थानीय सैन्य प्राधिकरण की अध्यक्षता वाली एक कमेटी तय करेगी. जबकि छावनी क्षेत्र से बाहर आने वाली जमीन के रेट डीएम जिलाधिकारी तय करेंगे.
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