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अब नहीं हो सकेगा फर्जी मतदान, मोदी सरकार उठा रही ये बड़ा कदम

केंद्र आधार कार्ड को वोटर आईडी कार्ड से जोड़ने की तैयारी में है. इसके लिए सरकार को कुछ कानूनों में संशोधन करना होगा.

Updated on: 14 Aug 2021, 12:25 PM

highlights

  • मतदान प्रणाली में धांधली रोकने के लिए आधार जुड़ेगा वोटर आईडी से
  • अगले साल 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव बाद शुरू होगा बड़ा काम
  • जन प्रतिनिधित्व कानून के साथ आधार अधिनियम में करना होगा संशोधन

नई दिल्ली:

केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) फर्जी मतदान रोकने के लिए एक बड़ा कदम उठा सकती है. इसके तहत केंद्र आधार कार्ड (Aadhar Card) को वोटर आईडी (Voter ID) कार्ड से जोड़ने की तैयारी में है. इसके लिए सरकार को कुछ कानूनों में संशोधन करना होगा. इसके साथ ही डाटा सुरक्षा का फ्रेमवर्क तैयार करना होगा. मोदी सरकार यह कदम अगले साल पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के बाद उठा सकती है. जाहिर है फर्जी मतदान और एक से अधिक स्थानों पर वोटिंग लिस्ट में रजिस्ट्रेशन को रोकने के लिए यह प्रस्तावित कदम विपक्ष को अड़ंगा डालने का एक और मौका देगा. इसके साथ ही इस प्रस्ताव को अमली जामा पहनाने में कानूनी अड़चन भी पैदा हो सकती है. 

कई संशोधन पड़ेंगे करने
सूत्रों के अनुसार सरकार इसके लिए तैयार है. हालांकि वोटिंग लिस्ट को आधार नंबर से जोड़ने के लिए केंद्र को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के साथ-साथ आधार अधिनियम में संशोधन करना होगा. इसकी बड़ी वजह यह है कि 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने आधार अधिनियम की वैधता पर फैसला देते हुए कहा था कि आधार के 12 अंकों की आईडी का इस्तेमाल केवल सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का फायदा लेने और अन्य सुविधाओं के लिए ही किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने उसी फैसले में आगे कहा था कि अगर सरकार वोटर लिस्ट को आधार इकोसिस्टम से जोड़ना चाहती है, तो उसे इसके लिए कानूनी मदद लेनी होगी. गौरतलब यह भी है कि उच्च न्यायलय ने 2019 में गोपनीयता को मौलिक अधिकार घोषित करते हुए सरकार से डाटा सुरक्षा के लिए कानून बनाने के लिए कहा था. जिसके बाद सरकार ने डाटा प्रोटेक्शन बिल तैयार किया है. इस पर फिलहाल संसदीय समिति विचार कर रही है.

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कानूनी अड़चनों से भी पार पाना होगा
जानकारों का मानना है कि वोटिंग लिस्ट को आधार इकोसिस्टम से सीधे-सीधे नहीं जोड़ा जाएगा, बल्कि इसके वेरिफिकेशन के लिए ओटीपी सिस्टम का इस्तेमाल किया जाएगा. ऐसा करने से दोनों डाटा का मिलान नहीं होगा और न ही वोटर सिस्टम को टैप किया जाएगा. सूत्रों का कहना है कि इस सिस्टम का व्यापक स्तर पर परीक्षण किया जाएगा. सभी पहलुओं पर खरा उतरने के बाद ही आधार को वोटर आईडी से जोड़ने की योजना का आगाज किया जाएगा. जानकारी के लिए बता दें कि 2015 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आने से पहले तक चुनाव आयोग बड़ी संख्या में वोटर आईडी को आधार से लिंक कर चुका था. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद इस कार्यक्रम को रोक दिया गया था.