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मजदूरों को उनके गांव भेजने के पक्ष में नहीं है मोदी सरकार (Modi Sarkar), सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दायर की स्‍टेटस रिपोर्ट

पीएम नरेंद्र मोदी की मुख्‍यमंत्रियों के साथ मीटिंग से पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर स्टेटस रिपोर्ट में बताया है कि लॉकडाउन के बीच प्रवासी मजदूरों को उनके पैतृक स्थान भेजने की ज़रूरत नहीं है.

Updated on: 27 Apr 2020, 12:31 PM

नई दिल्ली:

पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की मुख्‍यमंत्रियों के साथ मीटिंग से पहले केंद्र सरकार (Central Govt) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दायर स्टेटस रिपोर्ट (Status Report) में बताया है कि लॉकडाउन के बीच प्रवासी मजदूरों को उनके पैतृक स्थान भेजने की ज़रूरत नहीं है. सरकार का कहना है कि इस तरह का पलायन ग्रामीण इलाकों में भी संक्रमण फैलाने में मदद करेगा, जहां अभी तक संक्रमण नहीं है. स्‍टेटस रिपोर्ट में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि केंद्र और राज्य सरकार, NGO के साथ मिलकर प्रवासी मजदूरों की दैनिक ज़रूरतों और गांवों में उनके घरवालों की सुविधा के लिए इंतज़ाम कर रही हैं.

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मोदी सरकार की इस राय से बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने ही इत्‍तेफाक रखा है. कई राज्‍यों ने मांग की है कि उनके यहां मजदूर जो बाहर कहीं काम करते हैं, घर बुलाने के लिए मौका दिया जाना चाहिए. यूपी के सीएम योगी आदित्‍यनाथ भी इस बात के हिमायती रहे हैं कि मजदूरों को उनके घर बुला लेना चाहिए. इससे पहले राजस्‍थान के कोटा में फंसे छात्रों को बुलाने के लिए कई राज्‍यों की सरकारों ने अलग से इंतजाम किया था. अब उन राज्‍यों में यह मांग उठ रही है कि जब छात्रों को बुलाया जा सकता है तो मजदूरों को बुलाने में क्‍या आपत्‍ति है.

हालांकि बिहार के सीएम नीतीश कुमार टस से मस नहीं हो रहे हैं. विपक्ष इसे लेकर लगातार निशाना साध रहा है, लेकिन वे अपने रुख पर कायम हैं. उनका कहना है कि सभी राज्‍य अपने-अपने नागरिकों को अपने यहां बुला लेंगे तो फिर लॉकडाउन का क्‍या मतलब रह जाएगा. उधर उधव ठाकरे की सरकार ने सभी राज्‍यों से प्रवासी मजदूरों को अपने यहां बुलाने की मांग की है, जिस पर राजनीति भी तेज हो गई है. 

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सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार द्वारा दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना के खिलाफ लड़ाई में 37,978 रिलीफ कैम्प बनाए गए हैं. इनमें 14.3 लाख लोग रह रहे हैं. इसके अलावा अलग से 26,225 फूड कैम्प बनाये गए हैं, जो 1.34 करोड़ लोगों को खाना मुहैया करा रहे हैं.