कांग्रेस ने लोकपाल के मुद्दे पर नरेंद्र मोदी सरकार पर दोहरा मानदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की गैर मौजूदगी में लोकपाल की नियुक्ति नहीं की जा सकती। कांग्रेस ने कहा कि ऐसा लगता है कि मोदी सरकार नहीं चाहती कि वह लोकपाल जैसे स्वतंत्र संस्थान के प्रति जवाबदेह हो और उसकी जांच हो।
कांग्रेस प्रवक्ता तथा लोकसभा सांसद गौरव गोगोई ने यहां संवाददाताओं से कहा, "भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार हमारे लोकतंत्र में सुनियोजित रूप से चेक एंड बैलेंस को खत्म कर रही है और पारदर्शिता तथा जवाबदेही के स्तंभों को बर्बाद कर रही है।"
सरकार की तरफ से महान्यायवादी मुकुल रोहतगी ने मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि मौजूदा हालात में लोकपाल की नियुक्ति नहीं हो सकती, क्योंकि लोकपाल अधिनियम में नेता प्रतिपक्ष की परिभाषा से संबंधित संशोधन संसद में लंबित है।
लोकपाल अधिनियम 2013 के मुताबिक, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष लोकपाल का चयन करने वाले पैनल का हिस्सा होगा।
वर्तमान में, कोई भी नेता प्रतिपक्ष नहीं है। वर्तमान में कांग्रेस लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है लेकिन उसके पास नेता प्रतिपक्ष होने के लिए पर्याप्त सीटें नहीं हैं।
रोहतगी ने कहा कि जब तक सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा देने वाला संशोधन संसद द्वारा पारित नहीं कर दिया जाता, तब तक लोकपाल की नियुक्ति नहीं हो सकती।
लेकिन, गोगोई ने कहा कि यह सरकार की लोकपाल की नियुक्ति में विलंब करने की रणनीति है। गोगोई ने कहा कि इसी तरह व्हिसिलब्लोअर प्रोटेक्शन एक्ट 2011 को सरकार ने एक संशोधन पारित कर कमजोर कर दिया।
उन्होंने कहा, "सरकार ने व्हिसिलब्लोअर को कभी पुरस्कृत नहीं किया। उसने व्हिसिलब्लोअर को दंडित ही किया है। और, 27 अगस्त, 2013 को पारित किए गए लोकपाल विधेयक का क्या हुआ? इस विधेयक को लेकर पूरी तरह से अस्पष्टता बनी हुई है।"
उन्होंने जल्द से जल्द लोकपाल की नियुक्ति की मांग की है।
Source : News Nation Bureau