मोदी कैबिनेट ने नागरिकता संशोधन विधेयक को दी मंजूरी, अगले हफ्ते संसद में पेश होगा

जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) से अनुच्छेद 370 (Article 370) हटाने के बाद मोदी सरकार (Modi Sarkar) ने अब बुधवार को नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill 2019) को मंजूरी दे दी.

जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) से अनुच्छेद 370 (Article 370) हटाने के बाद मोदी सरकार (Modi Sarkar) ने अब बुधवार को नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill 2019) को मंजूरी दे दी.

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Sunil Mishra
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मोदी कैबिनेट ने नागरिकता संशोधन विधेयक को दी मंजूरी, अगले हफ्ते संसद में पेश होगा

मोदी कैबिनेट ने नागरिकता संशोधन विधेयक को दी मंजूरी( Photo Credit : File Photo)

जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) से अनुच्छेद 370 (Article 370) हटाने के बाद मोदी कैबिनेट (Modi Cabinet) ने अब बुधवार को नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill 2019) को मंजूरी दे दी. बताया जा रहा है कि इसी हफ्ते इसे संसद (Parliament) में पेश किया जा सकता है. दूसरी ओर, विपक्ष इस बिल का कड़ा विरोध कर रहा है. विपक्ष के साथ बिहार (Bihar) में बीजेपी (BIhar) की सहयोगी दल जनता दल यूनाइटेड (JDU) भी इस बिल के खिलाफ है. बताया जा रहा है कि इस बिल पर संसद में रार मच सकती है.

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कांग्रेस नेता शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने बुधवार को बताया कि उनकी पार्टी नागरिकता संशोधन बिल का विरोध करेगी, क्योंकि इस बिल के माध्‍यम से नागरिकों को धर्म के आधार पर बांटने की कोशिश हो रही है. AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने भी इस बिल का कड़ा विरोध किया है. राजद नेता मनोज झा (Manoj Jha) का कहना है कि इस मुल्क को इज़रायल ना बनने दें, इसे गांधी का हिंदुस्तान ही रहने दें.

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सबसे पहले 2016 में इस बिल को लोकसभा में पेश किया गया था. तब इस बिल को संसदीय कमेटी को सौंप दिया गया था. इस साल की शुरुआत में यह बिल लोकसभा में पास हो गया था, लेकिन राज्यसभा में अटक गया था. हालांकि, लोकसभा का कार्यकाल खत्म होने के साथ ही बिल भी खत्म हो गया. इस कारण अब लोकसभा और राज्यसभा दोनों जगह बिल को दोबारा पेश किया जाएगा.

नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों को बदलने के लिए नागरिकता संशोधन बिल 2019 पेश किया जा रहा है. इससे नागरिकता देने के नियमों में बदलाव होगा. इस संशोधन विधेयक से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए बगैर वैध दस्तावेजों के भी भारत की नागरिकता हासिल करने का रास्ता साफ हो जाएगा. भारत की नागरिकता हासिल करने को अभी देश में 11 साल रहना जरूरी है, लेकिन नए बिल में इस अवधि को 6 साल करने की बात कही जा रही है.

Source : न्‍यूज स्‍टेट ब्‍यूरो

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