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मोदी सरकार ने सपा और भीम आर्मी की जातिवादी राजनीति पर फेरा पानी, किया यह बड़ा ऐलान

मोदी सरकार ने दो टूक कह दिया है कि आगे बढ़ते हिंदुस्तान में अब किसी जाति या धर्म के नाम पर सेना (Army) में कोई रेजीमेंट नहीं बनेगी. दोनों ही नेता वर्ग विशेष को लेकर सेना में रेजीमेंट बनाने की मांग करते आ रहे थे.

Updated on: 12 Mar 2020, 07:10 PM

highlights

  • मोदी सरकार ने अखिलेश यादव और चंद्रशेखर आजाद की राजनीति पर फेरा पानी.
  • लोकसभा में दो टूक किया जाति या धर्म केंद्रित सेना की रेजीमेंट बनाने से इंकार.
  • अहीर और चमार रेजीमेंट बनाने की मांग को लेकर दोनों नेता थे मुखर.

नई दिल्ली:

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और भीम पार्टी के सर्वेसर्वा चंद्रशेखर आजाद (ChandraShekhar Azad) की जाति केंद्रित राजनीति पर मोदी 2.0 सरकार (Modi Government) ने पानी फेर दिया है. मोदी सरकार ने दो टूक कह दिया है कि आगे बढ़ते हिंदुस्तान में अब किसी जाति या धर्म के नाम पर सेना (Army) में कोई रेजीमेंट नहीं बनेगी. दोनों ही नेता वर्ग विशेष को लेकर सेना में रेजीमेंट बनाने की मांग करते आ रहे थे. अखिलेश यादव ने अहीर रेजीमेंट, तो चंद्रशेखर ने अंग्रेजों के समय रही चमार रेजीमेंट को बहाल करने की मांग की थी. इस रेजीमेंट के लिए कुछ दलित नेताओं ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का भी दरवाजा खटखटाया था, जबकि अहीर रेजीमेंट के लिए दक्षिण हरियाणा में कई बार प्रदर्शन हो चुके हैं.

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सपा ने शामिल किया था घोषणापत्र में मुद्दा
गौरतलब है कि अहीर रेजीमेंट को लेकर 2019 लोकसभा चुनाव में सपा ने अपने घोषणापत्र में 'अहीर बख्तरबंद रेजिमेंट' बनाने का वादा किया था. यादव समाज में यह मांग इतनी बड़ी है कि तब आजमगढ़ से अखिलेश यादव के सामने खड़े बीजेपी कैंडीडेट रहे दिनेश लाल यादव उर्फ 'निरहुआ' को भी इसका समर्थन करना पड़ा था. कोशिश थी यादव वोटरों को रिझाने की. इसके पीछे सेना में यादव समाज के लोगों की अच्छी खासी संख्या का तर्क दिया जाता है. अहीर रेजीमेंट की मांग को लेकर रेजांगला शहीद फाउंडेशन कई बार आंदोलन कर चुका है. यादव समाज के लोग 18 नवंबर 1962 को हुए रेजांगला युद्ध की याद दिलाते हैं, जब एक साथ 114 सैनिक शहीद हो गए थे. इसमें से 112 सैनिकों के यादव समाज से होने का दावा किया जाता है. इन जवानों ने युद्ध में चीन के करीब 13 सौ सैनिकों को मारा था.

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वर्ग-विशेष या धर्म पर नहीं बनेगी रेजीमेंट
इन मांगों के बीच दलित कार्यकर्ता ओपी धामा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अपील की थी कि अगर देश में जातिवाद खत्म करना है, तो योद्धाओं के नाम पर रेजीमेंट बनाई जाएं. उनका तर्क था कि सेना में भर्ती के आवेदन में जाति और धर्म का कॉलम समाप्त कर देना चाहिए. इस कड़ी में सांसद पुष्पेंद्र सिंह चंदेल के एक सवाल पर रक्षा राज्य मंत्री श्रीपाद नाईक ने 11 मार्च को एक लिखित जवाब में कहा कि नई रेजीमेंट स्थापित करने को लेकर संसद में कई अवसरों पर चर्चा की जा चुकी है. सरकारी नीति के मुताबिक सभी नागरिक चाहे वे किसी वर्ग, पंत, क्षेत्र या धर्म के हों, भारतीय सेना में भर्ती होने के लिए पात्र हैं. आजादी के बाद सरकार की नीति किसी विशेष वर्ग, समुदाय, धर्म या क्षेत्र के लिए कोई नई रेजीमेंट गठित करने की नहीं रही है.