अयोध्या में राम जन्मभूमि पर सुनवाई टलने पर मिली-जुली राय, जानें किसने क्या कहा
बेंच ने अगली सुनवाई की तारीख 10 जनवरी तय कर दी. इससे पहले 6 से 7 जनवरी के तक नई बेंच का गठन किया जाएगा, जो पूरे मामले को सुनेगी.
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को बहुप्रतीक्षित अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले की सुनवाई हुई. सुनवाई केवल 60 सेकेंड तक चली. बेंच ने अगली सुनवाई की तारीख 10 जनवरी तय कर दी. इससे पहले 6 से 7 जनवरी के तक नई बेंच का गठन किया जाएगा, जो पूरे मामले को सुनेगी. कोर्ट में नियमित सुनवाई होगी या नहीं, यह नई बेंच ही तय करेगी. सुनवाई टलने से कुछ लोग निराश हैं, वहीं कुछ लोग खुश भी हैं.
बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के उपाध्यक्ष और मुस्लिम पक्ष के सहायक वकील मुश्ताक अहमद सिद्दीकी का कहना है कि इस मामले में देरी करना अच्छी बात नहीं है. इसका जल्द से जल्द कानूनी तरीके से हल निकलना बेहद जरूरी है, क्योंकि इस मामले में देरी से सबसे ज्यादा नुकसान मुस्लिम पक्षकारों का ही होगा.
AIMPLB के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली का कहना है कि न्यायपालिका का अपना कार्यक्षेत्र है और उसमें दखल देने का हक किसी को नही है. हम सभी चाहते हैं कि कोर्ट के जरिए ही इस मसले का हल निकले और उम्मीद है कि आजाद हिंदुस्तान के इस सबसे बड़े संवेदनशील मामले का हल बहुत जल्द कानून तरीके से ही निकलेगा.
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने कहा है कि भगवान राम पूरे विश्व के हैं केवल हिंदुओं के नहीं हैं. इसलिए इस मुद्दे को कोर्ट में सुलझाने के बजाए बातचीत कर सुलाझाया जाना बेहतर होगा. अब्दुल्ला ने कहा, 'इस मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए और लोगों के साथ मेज पर बैठकर बातचीत से सुलझाया जाना चाहिए. इस मुद्दे को कोर्ट में क्यों घसीटा जा रहा है? मुझे पूरा विश्वास है कि इसे बातचीत से सुलझाया लिया जाएगा. भगवान राम पूरे विश्व के हैं केवल हिंदुओं के नहीं.' अब्दुल्ला ने आगे कहा, 'भगवान राम से किसी को बैर नहीं है न होना चाहिए, कोशिश करनी चाहिए सुलझाने की और बनाने की. जिस दिन यह हो जाएगा मैं भी एक पत्थर ले जाऊंगा. जल्दी समाधान होना चाहिए.'
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