दोबारा इंफेक्शन वाले मामलों का गलत वर्गीकरण हुआ : हर्षवर्धन
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने रविवार को कहा कि कोविड-19 के री-इंफेक्शन मामलों का गलत तरीके से वर्गीकरण किया गया है और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ऐसी घटनाओं की सच्चाई जानने के लिए अध्ययन कर रही है.
नई दिल्ली :
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने रविवार को कहा कि कोविड-19 के री-इंफेक्शन मामलों का गलत तरीके से वर्गीकरण किया गया है और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ऐसी घटनाओं की सच्चाई जानने के लिए अध्ययन कर रही है. अपने साप्ताहिक वेबिनार संडे संवाद में सोशल मीडिया श्रोताओं से मुखातिब हुए मंत्री ने कहा कि वास्तविक मामलों और गलत मामलों के बीच अंतर करना बेहद जरूरी है.
मंत्री ने आगे कहा, "भले ही विभिन्न राज्यों में री-इंफेक्शन के छिटपुट मामले की रिपोर्टे आई हैं लेकिन आईसीएमआर डेटाबेस के सावधानीपूर्वक विश्लेषण से पता चलता है कि इनमें से कई मामलों को वास्तव में री-इन्फेक्शन के रूप में गलत तरीके से वर्गीकृत किया गया है."
इसे भी पढ़ें:TRP SCAM:मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी के सीईओ, अन्य से पूछताछ की
उन्होंने कहा कि सार्स-कोव-2 का डायग्नोसिस मुख्य तौर पर आरटी-पीसीआर से किया जाता है, जो मृत वायरस को भी डिटेक्ट कर लेता है. यह मृत वायरस कई बार शरीर के अंगों में हफ्तों और महीनों तक रह सकता है, जबकि वह रोगी गैर-संक्रामक होता है.
हर्षवर्धन ने यह भी तर्क दिया कि "मृत वायरस का पता लगा लेने की भी आरटी-पीसीआर परीक्षण इस विशेषता के कारण पॉजिटिव रिपोर्ट आने के कुछ समय तक बाद-बाद रुककर टेस्ट किए जाते हैं. इसमें कई बार रिपोर्ट पॉजिटिव के बाद निगेटिव आती है और फिर से पॉजिटिव आ जाती है."
वर्धन ने कहा, "जबकि वास्तविक पुनर्निरीक्षण का मतलब है कि एक पूरी तरह से ठीक हो चुके व्यक्ति के शरीर में फिर से वायरस का आना."
इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि आईसीएमआर पुन: संक्रमित हुए मामलों की सही संख्या समझने के लिए एक अध्ययन शुरू कर रहा है. इसके परिणाम कुछ हफ्तों में साझा किए जाएंगे.
और पढ़ें:JDU ने जारी किया विजन डॉक्यूमेंट जारी, शिक्षा, नौकरी सहित इन बातों पर दिया जोर
बता दें कि आईएएनएस ने पहले ही बताया था कि सार्स-कोव -2 संक्रमित व्यक्ति के ठीक होने के बाद भी उसके शरीर में तीन महीने बाद तक भी वायरस रह सकता है. हालांकि, इंफेक्शन का स्तर काफी कम हो जाता है और व्यक्ति गैर-संक्रामक हो जाता है.
कोलंबिया एशिया अस्पताल में संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. महेश लंगा ने कहा, "अगर मरीज ठीक हो गया है, तब भी शरीर में अवशिष्ट विषाणु रहते हैं और पीसीआर टेस्ट को वे पॉजिटिव दिखा सकते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मरीज के शरीर में फिर से संक्रमण हुआ है."
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Akshaya Tritiya 2024: 10 मई को चरम पर होंगे सोने-चांदी के रेट, ये है बड़ी वजह
-
Abrahamic Religion: दुनिया का सबसे नया धर्म अब्राहमी, जानें इसकी विशेषताएं और विवाद
-
Peeli Sarso Ke Totke: पीली सरसों के ये 5 टोटके आपको बनाएंगे मालामाल, आर्थिक तंगी होगी दूर
-
Maa Lakshmi Mantra: ये हैं मां लक्ष्मी के 5 चमत्कारी मंत्र, जपते ही सिद्ध हो जाते हैं सारे कार्य