उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर भारतीय सशस्त्र बलों के विमानों और हेलीकाप्टरों के दुर्घटनाग्रस्त होने की घटनाओं में वृद्धि पर चिंता व्यक्त करते हुये भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिये उचित कदम उठाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. बेंगलुरू में हिन्दुस्तान ऐरोनाटिक्स लिमिटेड के हवाई अड्डे पर एक फरवरी को भारतीय वायु सेना का मिराज-2000 प्रशिक्षण विमान दुर्घटनाग्रस्त होने की घटना के परिप्रेक्ष्य में यह जनहित याचिका दायर की गयी है. इस हादसे में विमान में सवार दोनों पायलट-स्क्वैड्रन लीडर समीर अब्रोल और स्क्वैड्रन लीडर सिद्धार्थ नेगी की मृत्यु हो गयी थी.
अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव ने इस याचिका में शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने का अनुरोध किया है जो मिराज हादसे की गहराई से जांच करे. याचिका में कहा गया है कि समिति को चूक की वजह से होने वाली इस तरह की दुर्घटनाओं के लिये लापरवाही बरतने वाले सरकारी अधिकारियों की जिम्मेदारी निर्धारित करने तथा भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति रोकने के उपायों के बारे में सुझाव देने चाहिए.
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याचिकाकर्ता ने मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुये कहा है कि 2015-16 में भारतीय वायु सेना 35 से अधिक विमान और हेलीकाप्टर गंवा चुकी है और इसमें 45 मौतें हुयी हैं.
याचिका के अनुसार 2011 से भारतीय वायु सेना, सेना और नौसेना ने 75 से अधिक विमानों और हेलीकाप्टरों की दुर्घटनायें रिकार्ड की हैं जिसमे 80 से अधिक व्यक्तियों की जान गयी है. याचिका में कहा गया है कि यह मुद्दा भारतीय वायु सेना के विमान दुर्घटना पीड़ितों के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के बारे में है. इस बीच, एक अन्य घटनाक्रम में अब्राल के परिवार ने कहा है कि नौकरशाह तो मलाई काट रहे हैं जबकि वायु सैनिकों को लड़ाई के लिये 'पुरानी मशीनें' दी जा रही हैं.
Source : PTI