मिराज 2000 विमान: जिसने करगिल युद्ध का पासा पलट दिया, जानें ये कैसे हुआ संभव
वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि करगिल लड़ाई के दौरान मिराज 2000 विमान की तैनाती ‘पासा पलटने वाली’ साबित हुई.
नई दिल्ली:
वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि करगिल लड़ाई के दौरान मिराज 2000 विमान की तैनाती ‘पासा पलटने वाली’ साबित हुई तथा लड़ाई का रुख भारत के पक्ष में हो गया. मिराज 2000 ने 1999 में तीन महीने तक करगिल की बर्फीली चोटियों पर चली इस लड़ाई में अहम भूमिका निभायी थी और उसने टाइगिर हिल पर दुश्मन के बंकरों को निशाना बनाया था.
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वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वायुसेना द्वारा मिराज 2000 की करगिल युद्ध में तैनाती पासा पलटने वाला साबित हुई, क्योंकि इससे हमारी सेना का पलड़ा दुश्मन पर भारी पड़ गया. उन्होंने दावा किया कि भारत की प्रौद्योगिकी बेहतर है और उस समय दुश्मन के ‘एफ-16’ में उचित हथियार प्रणाली नहीं लगी थी. पाकिस्तान कंधे पर ढ़ोने वाली हथियार प्रणाली स्टिंगर (मैन पोर्टबल एयर डिफेंस सिस्टम) का इस्तेमाल कर रहा था जिसके तहत सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें दागी जाती है.
अधिकारी ने कहा कि लेजर गाइडेड बमों (एलजीबी) से लैस ‘मिराज 2000’ के इस्तेमाल से हमारा अभियान स्टिंगर की गिरफ्त से बाहर निकला और दुश्मन को तरकीब बदलनी पड़ी जो पासा पलटने वाली साबित हुई. भारतीय वायुसेना ने नियंत्रण रेखा पार नहीं की और नियंत्रण रेखा के अंदर घुसपैठियों पर प्रहार किया. भारत ने शुक्रवार को करगिल विजय की 20 वीं वर्षगांठ मनायी और शहीद सैनिकों के सर्वोच्च बलिदान एवं साहस को नमन किया. इस युद्ध में भारत को 500 सैनिक गंवाने पड़े थे.
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भारतीय वायुसेना इस दौरान ‘ऑपरेशन सफेद सागर’ में शामिल हुयी जिसके तहत भारतीय वायुसेना ने पहली बार दुश्मन को निशाना बनाने के लिए बेहद सटीकता वाले बमों का इस्तेमाल किया. इस लड़ाई के दौरान कई उड़ान भर चुके वरिष्ठ वायुसेना अधिकारी ग्रुप कैप्टन अनुपम बनर्जी ने कहा, एलजीबी से लैस मिराज 2000 करगिल युद्ध में पासा पलटने वाला साबित हुआ.
संयोग से मिराज 2000 का ही पाकिस्तान में आतंकवादियों को निशाना बनाने के लिए बालाकोट हवाई हमले में इस्तेमाल किया गया, क्योंकि यह बिल्कुल सटीकता के साथ लक्ष्य को निशाना बनाता है.
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