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अब 6 शोध जहाजों के रखरखाव के लिए निजी कंपनी के साथ हुआ एकल अनुबंध

अब 6 शोध जहाजों के रखरखाव के लिए निजी कंपनी के साथ हुआ एकल अनुबंध

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IANS
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(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

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समुद्री बेड़े का मूल्य बढ़ाने के साथ-साथ रखरखाव और संचालन पर लागत बचाने के उद्देश्य से पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) ने अपने छह शोध जहाजों के लिए एक निजी फर्म के साथ अनुबंध समझौता किया है। इसकी घोषणा बुधवार को की गई।

तीन साल की अवधि के लिए लगभग 142 करोड़ रुपये का अनुबंध किया गया है। अनुबंध पर सागर निधि, सागर मंजूषा, सागर अन्वेशिका और सागर तारा (सभी राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी), चेन्नई द्वारा प्रबंधिता) कन्या (नेशनल सेंटर फॉर पोलर एंड ओशन रिसर्च (एनसीपीओआर), गोवा द्वारा प्रबंधित) और सागर संपदा (सेंटर फॉर मरीन लिविंग रिसोर्सेज एंड इकोलॉजी (सीएमएलआरई), कोच्चि द्वारा प्रबंधित के लिए हस्ताक्षर किए गए हैं।

ये शोध जहाज देश में प्रौद्योगिकी प्रदर्शन और समुद्री अनुसंधान और अवलोकन के लिए रीढ़ हैं और हमारे महासागरों और महासागर आधारित संसाधनों के बारे में ज्ञान बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय अन्य अनुसंधान संस्थानों और संगठनों जैसे इसरो, पीआरएल, एनजीआरआई, अन्ना विश्वविद्यालय आदि के लिए राष्ट्रीय सुविधा के रूप में अनुसंधान जहाजों का विस्तार कर रहा है।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा, इस अनुबंध की एक महत्वपूर्ण विशेषता पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अनुसंधान जहाजों और बोर्ड पर उच्च तकनीक वाले वैज्ञानिक उपकरण/प्रयोगशालाओं के संचालन और रखरखाव शुल्क में मंत्रालय द्वारा हासिल की गई पर्याप्त वर्ष-वार बचत है। इन सभी छह शोध जहाजों की मैनिंग, रखरखाव (वैज्ञानिक उपकरणों के रखरखाव और संचालन सहित), खानपान और हाउसकीपिंग की जाएगी।

अनुबंध पर डॉ. एम. रविचंद्रन, एमओईएस सचिव, और एबीएस मरीन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, चेन्नई की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

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