भारत का पाकिस्तान को करारा जवाब, कश्मीर देश का अंदरुनी मामला
जम्मू-कश्मीर पर पीएम मोदी की बैठक के बीच विदेश मंत्रालय का बयान सामने आया है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है. पाकिस्तान से संबंधों को लेकर हम पुराने रुख पर कायम हैं.
highlights
- भारत का पाकिस्तान को करारा जवाब
- विदेश मंत्रालय ने बीजिंग के तर्क को भी खारिज कर दिया
- एलएसी पर यथास्थिति को बदलने की एकतरफा कोशिश से शांति भंग हुई
नई दिल्ली:
जम्मू-कश्मीर पर पीएम मोदी की बैठक के बीच विदेश मंत्रालय का बयान सामने आया है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है. पाकिस्तान से संबंधों को लेकर हम पुराने रुख पर कायम हैं. बातचीत के लिए पाकिस्तान को आतंकवाद पर लगाम लगाना होगा. पाकिस्तान बातचीत के लिए माहौल बनाए. ईरान में नए राष्ट्रपति पर विदेश मंत्रालय, भारत-ईरान संबंध और यदि भारत ने अमेरिका के साथ ईरान पर प्रतिबंधों पर चर्चा की. कहा कि हम ईरान और अन्य देशों के साथ बातचीत के संबंध में हाल के घटनाक्रमों की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं. हम इसे करीब से देखना जारी रखेंगे. मेरे पास उस पर कोई तत्काल प्रतिक्रिया नहीं है.
विदेश मंत्रालय ने बीजिंग के तर्क को भी खारिज कर दिया
भारत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच लंबे समय से जारी गतिरोध के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया है. विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख के सीमावर्ती इलाकों में चीन द्वारा बड़ी संख्या में सैनिकों को इकट्ठा करने और एलएसी पर यथास्थिति को बदलने की एकतरफा कोशिश के कारण इलाके में अशांति फैली है. विदेश मंत्रालय ने बीजिंग के उस तर्क को भी खारिज कर दिया जिसमें उसने कहा था कि सीमा पर तनाव पैदा करने के लिए नई दिल्ली की नीतियां जिम्मेदार थीं.
एलएसी पर यथास्थिति को बदलने की एकतरफा कोशिश से शांति भंग हुई
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि यह सर्वविदित है कि पिछले साल पश्चिमी सेक्टर में चीन की कार्रवाई ने सीमावर्ती इलाकों में शांति को बुरी तरह प्रभाविक किया. सीमावर्ती क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सैनिकों को एकत्र करने, एलएसी पर यथास्थिति को बदलने की एकतरफा कोशिश से शांति भंग हुई. उन्होंने आगे कहा कि पिछले साल की चीनी कार्रवाई 1993 और 1996 के समझौते सहित उन द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन थी जिनमें कहा गया है कि दोनों पक्ष एलएसी का सम्मान करेंगे और दोनों पक्ष एलएसी से लगे क्षेत्रों में अपने सैन्य बलों को न्यूनतम स्तर पर रखेंगे.
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