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रक्षा मंत्रालय का बड़ा फैसला, 108 सैन्य उपकरण के आयात पर प्रतिबंध, देश में ही बनेंगे

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को अगली पीढ़ी के कार्वेट, एयरबोर्न अर्ली वार्निंग सिस्टम, टैंक इंजन और रडार जैसे 108 सैन्य हथियारों और प्रणालियों के आयात पर प्रतिबंध लगाने को मंजूरी दे दी.

Updated on: 31 May 2021, 06:50 PM

दिल्ली :

घरेलू रक्षा उद्योग आउट आत्मनिर्भर भारत (Atamnirbhar Bharat) को बढ़ावा देने के उदेश्य से रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) ने महत्वपूर्ण एलान किया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) ने आज महत्वपूर्ण ऐलान किया है. रक्षा मंत्री ने कहा है कि रक्षा मंत्रालय अब आत्मनिर्भर भारत की पहल को आगे बढ़ाने के लिए तैयार है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को अगली पीढ़ी के कार्वेट, एयरबोर्न अर्ली वार्निंग सिस्टम, टैंक इंजन और रडार जैसे 108 सैन्य हथियारों और प्रणालियों के आयात पर प्रतिबंध लगाने को मंजूरी दे दी. बता दें कि इससे पहले 101 वस्तुओं वाले रक्षा आयात के लिए पहली नकारात्मक सूची पिछले साल जारी की गई थी.

रक्षा मंत्रालय के अधिकारीयों ने बताया कि दूसरी सूची में शामिल 108 वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध दिसंबर 2021 से दिसंबर 2025 की अवधि में उत्तरोत्तर प्रभावी होगा. उन्होंने कहा कि दूसरी सूची रक्षा मंत्रालय ने राज्य के स्वामित्व वाली और निजी रक्षा विनिर्माण उद्योग निकायों के साथ कई दौर के परामर्श के बाद तैयार की है. रक्षा आयात के लिए वस्तुओं की पहली नकारात्मक सूची में टोड आर्टिलरी गन, कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, क्रूज मिसाइल, अपतटीय गश्ती जहाज, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली, अगली पीढ़ी के मिसाइल जहाज, फ्लोटिंग डॉक और पनडुब्बी रोधी रॉकेट लॉन्चर शामिल थे. अधिकारियों ने कहा कि आयात के लिए दूसरी नकारात्मक सूची को रक्षा मंत्री ने मंजूरी दी थी.

मंत्रालय ने कहा कि सभी 108 वस्तुओं को अब रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी) 2020 के प्रावधानों के अनुसार स्वदेशी स्रोतों से खरीदा जाएगा. पिछले कुछ वर्षों में, सरकार ने घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए हैं. रक्षा मंत्रालय की नई रक्षा खरीद नीति ने 2025 तक रक्षा निर्माण में 1.75 लाख करोड़ रुपये (यूएसडी 25 बिलियन) का कारोबार करने का अनुमान लगाया है. भारत वैश्विक रक्षा दिग्गजों के लिए सबसे आकर्षक बाजारों में से एक है. पिछले आठ से दस वर्षों में देश दुनिया में सैन्य हार्डवेयर के कुछ शीर्ष आयातकों में से एक है.

अनुमान के मुताबिक, भारतीय सशस्त्र बलों को अगले पांच वर्षों में पूंजीगत खरीद में करीब 130 अरब डॉलर खर्च करने का अनुमान है.