नम आंखों से दी गई मिल्खा सिंह को विदाई, चंडीगढ़ में हुआ अंतिम संस्कार
भारत के महान धावक मिल्खा सिंह को नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई. फ्लाइंग सिख का अंतिम संस्कार शनिवार को चंडीगढ़ के मटका चौक स्थित श्मशान घाट पर हुआ.
highlights
- मिल्खा सिंह पंचत्व में विलीन
- एशियाई खेलों में चार बार स्वर्ण पदक विजेता थे
- 1958 के राष्ट्रमंडल खेलों में भी स्वर्ण पदक जीता था
चंडीगढ़:
भारत के महान धावक मिल्खा सिंह को नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई. फ्लाइंग सिख का अंतिम संस्कार शनिवार को चंडीगढ़ के मटका चौक स्थित श्मशान घाट पर हुआ. इस दौरान वहां केंद्रीय खेल मंत्री किरेन रिजिजू, पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह और हरियाणा के खेल मंत्री संदीप सिंह समेत कई लोग मौजूद रहे. वह 91 साल के थे और कोविड-19 के खिलाफ एक मजबूत लड़ाई के बाद विजेता के रूप में सामने आए थे. बुधवार को उनका कोरोना टेस्ट नेगेटिव आया था. वह 3 जून को अस्पताल में भर्ती थे. उन्होंने चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर अस्पताल शुक्रवार रात अंतिम सांस ली. मिल्खा सिंह के निधन से उनके परिवार के साथ देश में उनके चाहने वालों में भी शोक की लहर दौड़ पड़ी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके निधन पर दुख जताया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिल्खा सिंह के निधन के बाद ट्वीट कर कहा, 'मिल्खा सिंह जी के निधन से हमने एक महान खिलाड़ी खो दिया, जिसने देश की कल्पना पर कब्जा कर लिया और अनगिनत भारतीयों के दिलों में एक विशेष स्थान बना लिया. उनके प्रेरक व्यक्तित्व ने खुद को लाखों लोगों का प्रिय बना दिया. उनके निधन से आहत हूं. प्रधानमंत्री मोदी ने आगे लिखा, 'अभी कुछ दिन पहले ही मेरी मिल्खा सिंह जी से बात हुई थी. मुझे नहीं पता था कि यह हमारी आखिरी बातचीत होगी. कई नवोदित एथलीट उनकी जीवन यात्रा से ताकत हासिल करेंगे. उनके परिवार और दुनिया भर में कई प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं.'
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जताया दुख
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्वीट में लिखा, 'मिल्खा सिंह जी के निधन की खबर सुनकर व्यथित और दुखी हूं. यह एक युग के अंत का प्रतीक है और आज भारत और पंजाब गरीब हैं. शोक संतप्त परिवार और लाखों प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं. फ्लाइंग सिख की कथा आने वाली पीढ़ियों के लिए गूंजेगी.'
बता दें कि मिल्खा सिंह ने एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता में चार बार स्वर्ण पदक जीता है और 1958 के राष्ट्रमंडल खेलों में भी स्वर्ण पदक जीता था. हालांकि, 91 वर्षीय को 1960 के रोम ओलंपिक के 400 मीटर फाइनल में उनकी एपिक रेस के लिए याद किया जाता है. उन्होंने 1956 और 1964 के ओलंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया है और उन्हें 1959 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था.
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