कलकत्ता की ट्राम से तो आप परचित ही होंगे, कुछ उसी की तर्ज पर राजधानी दिल्ली में एक खास मेट्रो चल सकती है. इसके लिए बस एक खास कॉरिडोर बनेगा और रबड़ वाले टायर लगी मेट्रो सड़को पर दौड़ेगी. ऐसी मेट्रो पहले ही कई बड़े देशों में चल रही है. रफ्तार की बात करें तो यह 60 किलोमीटर/घंटे की रफ्तार से चलेगी. इसे मेट्रोलाइट के नाम से जाना जाता है. इसे चलाने में 3 गुना कम 100 करोड़ रुपये प्रति किमी की लागत आएगी. इसका सुझाव केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने दिया है. दुर्गा शंकर सेक्टर-51 एक्वा लाइन और सेक्टर-52 ब्लू लाइन मेट्रो को जोड़ने वाले 300 मीटर वॉकवे का रविवार को उद्घाटन करने पहुंचे थे.
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पिलर या सुरंग बनाने की नहीं होगी जरूरत
मेट्रोलाइट ट्रेन में 3 कोच होंगे. पिलर या सुरंग बनाने की इसमें जरूरत नहीं होगी. तारबंदी या दीवार बनाकर स्पेशल कॉरिडोर तैयार कर इसे दौड़ाया जा सकता है. इसमें टिकट ट्रेन के अंदर ही मिलेगा. दिल्ली के द्वारका में इसे सबसे पहले चलाने की तैयारी की जा रही है. अभी डीपीआर और अन्य प्रॉजेक्ट पर काम चल रहा है.
नॉलेज पार्क तक विस्तार में मददगार
नोएडा में सेक्टर-51 से ग्रेनो वेस्ट के नॉलेज पार्क तक एक्वा लाइन मेट्रो के विस्तार की योजना है. अगर पिलर वाला मेट्रो कॉरिडोर बनाया जाता है तो यहां करीब 300 करोड़ रुपये/किमी का खर्च आएगा. इसी मेट्रो को अगर भूमिगत बनाया जाएगा तो लागत 550 करोड़ रुपये/किमी तक पहुंच सकती है. नोएडा और ग्रेनो अथॉरिटी की आर्थिक स्थिति अभी खस्ताहाल है. ऐसे में इतना खर्च उठा पाना मुश्किल है. अगर मेट्रोलाइट के विकल्प पर राज्य सरकार विचार करती है तो 3 गुना कम लागत में इसे तैयार किया जा सकेगा.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो