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मेट्रो मैन ई श्रीधरन ने दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की चिट्ठी का जवाब दिया

यह देश की दूसरी मेट्रो के लिए खतरनाक नजीर बनेगी हम देश में बहुत धीमी गति से मेट्रो का निर्माण कर रहे हैं.

Updated on: 21 Jun 2019, 11:28 PM

highlights

  • मेट्रो में महिलाओं की मुफ्त यात्रा पर बोले मेट्रोमैन
  • आप प्रवक्ता आतिशी ने किया पलटवार
  • बीजेपी की भाषा बोल रहे हैं श्रीधरन: आतिशी

नई दिल्ली:

मेट्रो मैन एस श्रीधरन ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के दिल्ली मेट्रो में महिलाओं को मुफ्त यात्र पर आपत्ति जताते हुए उन्हें एक चिट्ठी लिखी है जिसमें उन्होंने दिल्ली मेट्रो को किसी के लिए भी मुफ्त यात्रा पर आपत्ति जताते हुए अपनी बातें रखी और ये बताया कि क्यों दिल्ली मेट्रो को किसी के मुफ्त यात्रा पर उन्हें आपत्ति है.मेट्रो मैन ने कहा जब तक दिल्ली मेट्रो 33000 करोड़ का लोन नहीं चुका थी तब तक  मेरी समाज के किसी भी वर्ग को मुफ्त यात्रा पर आपत्ति है. महिलाओं को मुफ्त यात्रा से मेट्रो को होने वाले नुकसान की भरपाई आपकी सरकार तो कर देगी लेकिन आने वाली सरकारें शायद ना कर पाए और तब मेट्रो इस फैसले को बदल पलट नहीं पाएंगी और महिलाओं से यात्रा का किराया नहीं ले पाएंगी

यह देश की दूसरी मेट्रो के लिए खतरनाक नजीर बनेगी हम देश में बहुत धीमी गति से मेट्रो का निर्माण कर रहे हैं. 25 किलोमीटर हर साल जबकि चीन में 300 किलोमीटर हर साल मेट्रो का निर्माण होता है. यह सब फंड की कमी के चलते हो रहा है. अगर मेट्रो में कर्ज के जाल में फंसने के संकेत मिले तो भविष्य में आने वाली मेट्रो को लोन नहीं मिलेगा. मैं आप की योजना का विरोध नहीं कर रहा हूं केवल मुफ्त यात्रा के कंसेप्ट पर आपत्ति कर रहा हूं. अगर महिलाओं को मुफ्त यात्रा दी गई तो समाज के दूसरे वर्गों का क्या होगा जैसे कि छात्र विकलांग और वरिष्ठ नागरिक जो कि इसके ज्यादा हकदार हैं. 

दुनिया में कोई भी मेट्रो महिलाओं को मुफ्त यात्रा नहीं देती अगर दिल्ली सरकार को महिलाओं की ज्यादा चिंता है तो मेरा सुझाव है की महिलाओं के टिकट को डायरेक्टली पैसा देकर reimburse कर दें ध्यान रहे कि दिल्ली सरकार मेट्रो को जो भी मुआवजा दे रही है वह टैक्सपेयर का पैसा है और उसका हक है कि सवाल करे कि केवल महिलाएं ही क्यों मुफ्त में यात्रा करें? हर कोई जानता है कि यह एक चुनावी पैंतरा है महिलाओं के वोट जीतने के लिए अगले विधानसभा चुनाव में. अगर दिल्ली सरकार के पास बहुत ज्यादा पैसा आ गया है तो वह क्यों नहीं दिल्ली मेट्रो को और ट्रेन खरीदने और नई लाइन का निर्माण करने के लिए मदद करती जिससे कि पहले से ही भरी हुई मेट्रो को राहत मिले.

श्रीधरन ने कहा कि मेरी जानकारी के मुताबिक दिल्ली सरकार ने मेट्रो के चौथे फेस को मंजूरी देने में 2 साल की देरी की है, और लास्ट माइल कनेक्टिविटी के लिए बस सेवा भी नहीं लाई. वातावरण और सड़कों पर भीड़ कम करने के लिए सरकार को यह करना चाहिए था नाकि महिलाओं की मुफ्त यात्रा. मुफ्त यात्रा देकर महिला यात्रियों की सुरक्षा बिल्कुल नहीं बढ़ेगी. मेट्रो से निकलने के बाद अगर सड़क बस पकड़ने से पहले पर कुछ होता है तो उसका क्या? आप की सरकार को इस क्षेत्र में काम करना चाहिए ना कि मुफ्त यात्रा देने पर. मैं आपकी सरकार से अपील करता हूं कि वह चुनावी फायदे केलिए दिल्ली मेट्रो जैसे एक सक्षम और कामयाब पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को बर्बाद ना करें.

श्रीधरन बोल रहे हैं बीजेपी की भाषा: 'आप' प्रवक्ता आतिशी 

इसके बाद शुक्रवार को एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए 'आप' की राष्ट्रीय प्रवक्ता आतिशी ने कहा कि हाल ही में श्रीधरन जी ने जो चिट्ठी लिखी है, उसको पढ़ने के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि श्रीधरन जी बीजेपी की जबान बोल रहे हैं. अर्थात भाजपा जो उनसे कहलवाना चाहती है, वही बातें श्रीधरन जी बोल रहे हैं. भाजपा श्रीधरन जी के कंधे पर बंदूक चला रही है. महिलाओं के लिए मेट्रो में मुफ्त यात्रा योजना पर श्रीधरन जी द्वारा उठाई गई आपत्ति पर प्रश्न पूछते हुए अतिथि ने कहा, कि अगर महिलाओं को मुफ्त  यात्रा योजना से दिल्ली मेट्रो पर अतिरिक्त  आर्थिक  भार पड़ेगा,  तो जब केंद्र सरकार ने मेट्रो में सीनियर सिटीजन और विद्यार्थियों के लिए मेट्रो के किराए में छूट का प्रस्ताव रखा था, तब श्रीधरन जी ने कोई आपत्ति क्यों नहीं जताई थी? श्रीधरन जी के कंधे पर बंदूक रखकर चला रही है भारतीय जनता पार्टी. एयरपोर्ट लाइन में हुई वित्तीय अनियमितता के समय श्रीधरन जी ही चेयरमैन थे, तब उन्होंने कोई आपत्ति क्यों नही जताई. केंद्र सरकार द्वारा बुजुर्गों और विद्यार्थियों के लिए मेट्रो किराए में सब्सिडी के प्रस्ताव पर श्रीधरन जी ने कोई आपत्ति क्यों नही जताई थी.

अगर केंद्र सरकार के उस प्रस्ताव को गौर से देखा जाए, तो उसमें क्रॉस सब्सिडी की बात कही गई है अर्थात सीनियर सिटीजन और विद्यार्थियों को जो छूट दी जाएगी उसकी वसूली मेट्रो में यात्रा करने वाले अन्य यात्रियों से की जाएगी अर्थात दिल्ली मेट्रो में सफर करने वाले सभी यात्री सीनियर सिटीजंस और विद्यार्थियों को छोड़कर उन सभी का किराया बढ़ता. केंद्र सरकार का यह प्रस्ताव सीधे-सीधे दिल्ली मेट्रो पर और मेट्रो में यात्रा करने वाले अन्य यात्रियों पर आर्थिक भार डालता। परंतु यह बड़ा ही आश्चर्यजनक है कि श्रीधरन जी ने इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई.

दूसरा प्रश्न पूछते हुए आतिशी ने कहा कि जब एयरपोर्ट मेट्रो लाइन में वित्तीय अनियमितता पाई गई थी, उस समय पर श्रीधरन जी दिल्ली मेट्रो के चेयरमैन थे. इस बाबत दिल्ली सरकार ने एक डिटेल रिपोर्ट बनाकर भी सौंपी थी। जिसके आधार पर सीबीआई इंक्वायरी की मांग की गई थी। परंतु उस सीबीआई इंक्वायरी को नहीं होने दिया गया। उस समय श्रीधरन जी ने कोई आपत्ति क्यों नहीं जताई? क्या श्रीधरन जी भाजपा द्वारा उस समय मेट्रो में हुए भ्रष्टाचार को छुपाने का एहसान चुका रहे हैं? क्या यही वह कारण है जिसकी वजह से भाजपा श्रीधरन जी के कंधे से बंदूक चला पा रही है?

अपना तीसरा प्रश्न पूछते हुए आतिशी ने कहा कि श्रीधरन जी ने अपनी चिट्ठी में उप मुख्यमंत्री द्वारा कही गई बात कि दिल्ली मेट्रो अभी अपनी क्षमता का केवल 65% ही इस्तेमाल में ला पा रही है, महिलाओं के लिए योजना फ्री होने से उसकी क्षमता का अधिक उपयोग हो सकेगा, उस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आपके आंकड़े गलत हैं। आप की जानकारी गलत है। हम श्रीधरन जी से पूछना चाहते हैं कि दिल्ली मेट्रो द्वारा प्रस्तुत की गई डीटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट जिसके आधार पर केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार मेट्रो को फंड रिलीज करती है, क्या जो आंकड़े उनके द्वारा दिए गए थे वह झूठे थे जो आज श्रीधरन जी यह बात कह रहे हैं?

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आतिशी ने टैक्सपेयर वाले मुद्दे पर जवाब देते हुए कहा कि श्रीधरन जी इस मसले को अपने मत अनुसार ना देखें। दिल्ली में रहने वाली एक महिला होने के नाते मैं उन्हें बताना चाहती हूं कि दिल्ली में बहुत सारी ऐसी महिलाएं हैं, जो छोटे कल कारखानों में काम करती हैं या घरों में रहने वाली महिलाएं हैं, जिन्हें अपनी छोटी-छोटी जरूरतों के लिए अपने परिवार से पैसे मांगने पढ़ते हैं। अगर मेट्रो में महिलाओं के लिए मुफ्त सफर होगा तो इससे महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा, रोजगार में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी, शिक्षा जगत में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि ना केवल हमारा ऐसा मानना है बल्कि वर्ल्ड बैंक और यूएनडीपी की पिछले वर्ष की रिपोर्ट जो उन्होंने इंडियन ट्रांसपोर्ट सिस्टम के आधार पर बनाई थी, उनका भी यही मानना है.

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इसी प्रकार से 2015 में मैकेंजी ग्लोबल द्वारा की गई एक रिसर्च में उन्होंने कहा था, कि इंडिया का जीडीपी 16% से 60% तक 2025 तक बढ़ सकता है, अगर अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाई जाए और महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने के लिए मैकेंजी ग्लोबल के 3 सर्वश्रेष्ठ प्रस्तावों में से एक प्रस्ताव महिलाओं के लिए एक्सेस टू ट्रांसपोर्ट था। क्योंकि अधिकतर महिलाएं छोटे कल कारखानों में एवं उद्योगों में कार्यरत हैं और वहां पर भी उनकी आए पुरुषों के तुलना में कम है अर्थव्यवस्था में महिलाओं की  कम भागीदारी का यही सबसे बड़ा कारण है.

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मुफ्त यात्रा योजना से महिलाओं की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी। केवल मेट्रो में एक डिब्बा महिलाओं के लिए सुनिश्चित करने से या एक मार्शल लगा देने से सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होती। जब महिलाओं को मेट्रो में मुफ्त यात्रा का प्रावधान होगा तो सार्वजनिक जगहों पर महिलाओं की संख्या में बढ़ोतरी होगी जिससे कि महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ेगा। आज महिलाएं जो मेट्रो का मात्र 20% हिस्सा हैं वह कल 50% होंगी, जिससे आपस में एक सुरक्षा का माहौल बनेगा.