कांग्रेस नेतृत्व की नहीं कर सकेगा कोई आलोचना, पार्टी मांग रही हलफनामा
अब पार्टी की प्राथमिक सदस्यता लेने वालों को हलफनामा देना होगा कि वह सार्वजनिक मंचों पर कभी भी पार्टी की नीतियों एवं कार्यक्रमों की आलोचना नहीं करेंगे.
highlights
- जी-23 जैसी आलोचना से बचने के लिए कांग्रेस ने ढूंढी नई काट
- नए सदस्यों को आलोचना नहीं करने की देनी होगी वचनबद्धता
- नए सदस्यता फॉर्म में इसके अलावा शामिल की गईं अन्य शर्तें
नई दिल्ली:
2019 लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद से कांग्रेस (Congress) अंदरूनी स्तर पर अपने ही नेताओं की आलोचना झेल रही है. खासकर जी-23 समूह (G-23 Group) ने तो कांग्रेस आलाकमान को ही निशाने पर ले रखा है. हालांकि ऐसा लगता है कि सार्वजनिक मंचों पर पार्टी नेताओं की आलोचना झेलने के बाद कांग्रेस ने इसकी काट ढूंढ ली है. काट यह है कि अब पार्टी की प्राथमिक सदस्यता लेने वालों को हलफनामा देना होगा कि वह सार्वजनिक मंचों पर कभी भी पार्टी की नीतियों एवं कार्यक्रमों की आलोचना नहीं करेंगे. यह तब है जब पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) भारतीय जनता पार्टी पर हमला करते हुए अपनी पार्टी के लोकतांत्रिक स्वरूप का बखान करते नजर आते हैं.
नए सदस्यता फॉर्म में देनी होगी वचनबद्धता
सार्वजनिक आलोचनाओं से बचने के लिए अब सदस्यता फॉर्म में नए सदस्यों को वचनबद्धता स्पष्ट करनी होगी. कांग्रेस के नए मेंबरशिप फॉर्म में लिखा है, 'मैं धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद और लोकतंत्र के सिद्धांतों को बढ़ावा देने के लिए सदस्यता लेता हूं. मैं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, खुले तौर पर या किसी तरह से पार्टी मंचों के अलावा, पार्टी की स्वीकृत नीतियों और कार्यक्रमों की आलोचना नहीं करूंगा.' अंदरखाने के सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस का यह कदम उस संदर्भ में आया है, जिसमें जी-23 नेताओं ने मीडिया से बातचीत के दौरान खुलकर पार्टी की आलोचना की. यहां तक कि पार्टी के भीतर अध्यक्ष समेत अन्य पदों पर चुनाव की मांग करते हुए संगठनात्मक ढांचे पर ही सवाल उठा दिए थे.
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जी-23 समूह की आलोचना से सीखा सबक
गौरतलब है कि जी -23 के मुखर नेता कपिल सिब्बल ने सितंबर में कहा था कि पार्टी के नेता इस बात से अनजान हैं कि पार्टी में कौन निर्णय ले रहा है, क्योंकि कोई अध्यक्ष नहीं है. उन्होंने कहा था कि हमारी पार्टी में कोई अध्यक्ष नहीं है, इसलिए हमें नहीं पता कि ये फैसले कौन ले रहा है. हम जानते हैं और फिर भी अभी तक नहीं जानते. दूसरी ओर गुलाम नबी आजाद ने भी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की तत्काल बैठक आहूत करने की मांग की थी. इसके बाद बुलाई गई बैठक से पहले जी-23 नेताओं ने सीडब्ल्यूसी सदस्यों, केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) के सदस्यों और संसदीय बोर्ड चुनावों के लिए चुनाव की मांग की थी.
नए सदस्यता फॉर्म में हैं और भी कई शर्तें
यही नहीं, कांग्रेस पार्टी के सदस्यता संबंधी आवेदन-पत्र में और भी कईं शर्तें शामिल की गई हैं. इसके अनुसार कांग्रेस की सदस्यता ले रहे लोगों को यह घोषणा करनी होगी कि वह कानूनी सीमा से अधिक संपत्ति नहीं रखेंगे. कांग्रेस की नीतियों और कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए शारीरिक श्रम और जमीनी मेहनत करने से कतई नहीं हिचकिचाएंगे. पार्टी ने एक नवंबर से आरंभ हो रहे सदस्यता अभियान के लिए तैयार आवेदन-पत्र में 10 ऐसे बिंदुओं का उल्लेख किया है, जिसके बारे में सदस्य बनने के इच्छुक लोगों को अपनी स्वीकृति स्वरूप एक तरह से हलफनामा देना होगा.
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हरेक भारतीय के उत्थान और पतन का संकल्प
गौरतलब है कि 16 अक्टूबर को कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में फैसला किया गया था कि संगठनात्मक चुनाव से पहले पार्टी एक नवंबर से अगले साल 31 मार्च तक सदस्यता अभियान चलाएगी. इस आवेदन-पत्र में यह भी कहा गया है कि सभी नये सदस्यों को यह संकल्प लेना होगा कि वे किसी भी तरह के सामाजिक भेदभाव की गतिविधि में शामिल नहीं होंगे, बल्कि इसे समाज से खत्म करने की दिशा में काम करेंगे. इसके शपथ-पत्र में कहा गया है, 'मैं नियमित रूप से खादी धारण करूंगा. मैं शराब और मादक पदार्थों से दूर रहता हूं, मैं सामाजिक भेदभाव और असमानता नहीं करता, बल्कि इन्हें समाज से खत्म करने में विश्वास करता हूं और मैं पार्टी की ओर से दिए जाने वाले काम को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हूं.' इस नए सदस्यता फॉर्म के साथ ही कांग्रेस पार्टी ने प्रत्येक भारतीय के उत्थान और विकास का संकल्प दोहराया है.
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