'वादाखिलाफ' पीएम मोदी संग बदले हालात में पहली बार बात करेंगी महबूबा
महबूबा की रिहाई सबसे बाद में हुई. उनसे पहले प्रशासन ने पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला को नजरबंदी से रिहा कर दिया था.
highlights
- कभी बीजेपी के साथ मिल सरकार बनाई थी जम्मू-कश्मीर में
- समर्थन वापसी के बाद लगाया था वादाखिलाफी का आरोप
- आज लेंगी पीएम मोदी के साथ सर्वदलीय बैठक में हिस्सा
नई दिल्ली:
राजनीति में ऊंट कब किस करवट बैठ जाए, यह कहना मुश्किल होता है. कभी भारतीय जनता पार्टी के साथ सूबे में बनी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की गठबंधन सरकार में बतौर मुख्यमंत्री रह काम कर चुकीं महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) 2019 में अनुच्छेद 370 और धारा 35-ए हटने के बाद हिरासत में लेकर नजरबंद कर दी गईं. इसके पहले बीजेपी ने उनकी सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. 434 दिन हिरासत में रहने के बाद महबूबा मुफ्ती को रिहा किया गया. इस बीच वह तिरंगे समेत जम्मू-कश्मीर मसले पर पाकिस्तान से बातचीत सरीखे विवादास्पद बयान दे चुकी थीं. पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की ओर से जम्मू-कश्मीर पर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक से पहले भी कह चुकी है कि अनुच्छेद 370 हटाने की मांग वह रखेंगी. हालांकि वह यह कहने से भी नहीं चूकीं कि वह बैठक में खुले दिमाग से भाग लेने आ रही हैं.
पीएम मोदी से सियासी दूरियां बढ़ीं
बीजेपी द्वारा गठबंधन से किनारा करने के बाद 20 जून 2018 को जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू कर दिया गया था. इसके बाद ही महबूबा मुफ्ती ने पद छोड़ दिया था. तब महबूबा मुफ्ती ने बीजेपी पर वादाखिलाफी का आरोप लगाकर मोर्चा खोला, जो उसके बाद हर गुजरते दिन के साथ और तीखे हमले में बदलता गया. नौबत यह आ गई कि वोटबैंक को खिसकता देख महबूबा यहां तक कह गई कि 370 के प्रावधान समाप्त होने पर जम्मू-कश्मीर में कोई तिरंगा उठाने वाला नहीं होगा. इसके साथ ही पीएम मोदी के साथ महबूबा की सियासी दूरियां भी साफ दिखने लगीं. कभी पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद के इंतकाल के बाद महबूबा ने जिस बीजेपी को साथी बनाया था, अब उसी बीजेपी के तमाम नेता उन्हें पाकिस्तान परस्त होने के तमगे देने लगे.
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सबसे अंत में रिहा की गई महबूबा
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और धारा 35-ए के हटने की घोषणा से पहले महबूबा समेत राज्य के तमाम अन्य नेताओं को कश्मीर के अलग-अलग हिस्सों में बनी अस्थाई जेलों में डाल दिया गया. महबूबा मुफ्ती पहले हरि निवास और फिर गुप्कार रोड के अपने घर में कुल 434 रोज तक नजरबंद रहीं. गौर करने वाली बात यह भी है कि महबूबा की रिहाई सबसे बाद में हुई. उनसे पहले प्रशासन ने पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला को नजरबंदी से रिहा कर दिया था. बाद में तमाम मामलों में महबूबा फंसती नजर आईं. एक ऐसा वक्त भी आया, जब सीआईडी की पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट में पूर्व सीएम रहीं महबूबा को देश के लिए खतरा बताकर पासपोर्ट ना देने की वकालत कर दी गई. इस पूरे घटनाक्रम के बीच ही महबूबा और कश्मीर की तमाम पार्टियों ने अब अपना गुप्कार अलायंस बनाया है. महबूबा इस गठबंधन के उपाध्यक्ष की हैसियत से तमाम बयान देती रही हैं. हालांकि अनुच्छेद 370 के अंत के बाद महबूबा मुफ्ती अब केंद्र से पहली बार एक सर्वदलीय बैठक में बातचीत करने जा रही हैं.
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