मिलिए ओडिशा के 'मोदी' से शपथ ग्रहण में जिनके लिए बजी सबसे ज्यादा तालियां
ओडिशा की बालासोर सीट से संसद पहुंचे प्रताप सारंगी का जन्म 4 जनवरी 1955 को ओडिशा के नीलगिरी में गोपीनाथपुर गांव में हुआ था वो बहुत गरीबी में पले बढ़े हैं.
highlights
ओडिशा के बालासोर से सांसद हैं प्रताप सारंगी
सादा जीवन ही प्रताप सारंगी की पहचान है
प्रताप सारंगी को लोग 'ओडिशा के मोदी' भी कहते हैं
नई दिल्ली:
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तो दुनिया का बच्चा-बच्चा भी जानने लगा होगा लेकिन एक और मोदी हैं जिन्हें भारतवासियों ने इस बार लोकसभा चुनाव में पहचाना. जी हां एकदम सही बात है ये इन्हें लोग ओडिशा के 'मोदी' के नाम से भी जानते हैं. ये ओडिशा की बालासोर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए हैं नाम है प्रताप सारंगी. प्रताप सारंगी ओडिशा की बालासोर लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हैं उन्हें नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री बनाया गया है. सारंगी एकदम साधारण वेशभूषा और सामान्य जनजीवन वाले व्यक्ति हैं अपनी सादगी के चलते वो इन दिनों मीडिया की सुर्खियां बने हुए हैं. सारंगी की इस सादगी की वजह से लोग उन्हें 'ओडिशा का मोदी' भी कहते हैं. बताया जाता है कि जब भी पीएम मोदी ओडिशा जाते हैं वो प्रताप सारंगी से जरूर मिलते हैं.
प्रताप सारंगी का राजनीतिक सफर
ओडिशा की बालासोर सीट से संसद पहुंचे प्रताप सारंगी का जन्म 4 जनवरी 1955 को ओडिशा के नीलगिरी में गोपीनाथपुर गांव में हुआ था वो बहुत गरीबी में पले बढ़े हैं. लोकसभा चुनाव 2019 में सांसद चुने जाने से पहले प्रताप चंद्र सारंगी ओडिशा में दो बार विधायक रह चुके थे. वो ओडिशा की नीलगिरी विधानसभा से साल 2004 में और साल 2009 में विधायक चुने जा चुके हैं. इससे पहले वो पिछले लोकसभा चुनाव 2014 में मैदान में उतरे थे लेकिन तब वो चुनाव हार गए थे. ओडिशा के प्रताप सारंगी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काफी करीबी माना जाता है.
बचपन में साधु बनना चाहते थे सारंगी
प्रताप सारंगी गरीबी के बावजूद अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी उन्होंने वहीं के स्थानीय फकीर मोहन कॉलेज से भी ग्रेजुएशन किया. प्रताप सारंगी बचपन से ही बहुत आध्यात्मिक थे वो रामकृष्ण मठ में साधु बनना चाहते थे. इसके लिए वह कई बार मठ गए भी थे लेकिन बताया जाता है कि जब मठ वालों को खबर लगी कि प्रताप सारंगी की मां विधवा हैं तब मठ वालों ने उन्हें अपनी मां की सेवा करने का सुझाव दे दिया.
मठ से लौटने के बाद समाज सेवा में जुटे
मठ में संतों के समझाने - बुझाने के बाद प्रताप सारंगी अपने घर वापस लौट आए और समाजसेवा में जुट गए. प्रताप सारंगी ने बालासोर और मयूरभंज के आदिवासी इलाकों में जमकर काम किया. उन्होंने चंदा मांगकर कई स्कूल बनवाए. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रताप सारंगी ने जो चुनावी हलफनामा दिया था, उसके मुताबिक उनकी कुल संपत्ति तब करीब 10 लाख रुपये की थी.
ऐसा रहा है बालासोर सीट का इतिहास
लोकसभा चुनाव 2019 में प्रताप चंद्र सारंगी ने बीजू जनता दल के रबिन्द्र कुमार जेना को 12,956 वोटों से शिकस्त दी है. बालासोर सीट से 1951, 1957 और 1962 में कांग्रेस को कामयाबी मिली थी. 1967 में यह सीट सीपीआई ने कांग्रेस के हाथों से छीन ली साल 1971 में एक बार फिर से कांग्रेस ने इस सीट पर कब्जा किया. इसी तरह साल 1977 में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया ने एक बार फिर यहां से जीती दर्ज की. इसके बाद के दो चुनावों 1980 और 1984 में यहां से कांग्रेस जीत हासिल की। 1991 और 1996 में भी इस सीट पर कांग्रेस को जीत मिली थी. 1989 में इस सीट से जनता दल को जीत हासिल हुई 1998 के चुनाव में बीजेपी यहां से पहली बार जीती और इसके बाद 1999, 2004 में उसने अपनी कामयाबी को दोहराया. 2009 में कांग्रेस के श्रीकांत कुमार जेना चुनाव जीते थे. 2014 में यहां बीजेडी के रबींद्र कुमार जेना जीते थे.
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