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उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने 14 सालों का अपना वनवास खत्म कर ऐतिहासिक जीत दर्ज कराते हुए सत्ता में वापस आ गई है। बीजेपी के लिए यूपी की सत्ता में वापस आते ही सबसे पहली चुनौती राज्य के सीएम पद का चेहरा चुनना है। यूपी में सीएम पद के लिए वैसे तो कई नाम आगे चल रहें पर लखनऊ के मेयर दिनेश शर्मा का नाम सबसे आगे है।
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दिनेश शर्मा लखनऊ के मेयर और बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। सवर्णों की सबसे बड़ी आबादी ब्राह्मण जाति से आते हैं, इसका फायदा उन्हें मिल सकता है। इनके पक्ष में एक बात और जाती है कि वह गुजरात के प्रभारी हैं और इस नाते मोदी और अमित शाह के साथ उनके संबंध भी अच्छे हैं।
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दिनेश शर्मा बीजेपी का पढ़ा-लिखा चेहरा माने जाते हैं। मेयर बनने से पहले शर्मा लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के तौर पर काम कर रहे थे। शर्मा और शाह की नजदीकियों का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी नें सदस्यता बढ़ाने के महाअभियान की कमान उन्हें सौंपी गई थी। शर्मा अपनी इस जिम्मेदारी पर खरे भी उतरे। उनकी अगुवाई में बीजेपी विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बन गई। बतौर मेयर भी उनका कार्यकाल भी साफ-सुथरा रहा है।
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शर्मा केवल मोदी और अमित शाह के ही खास नहीं है। गौरतलब है कि अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 2006 में अपना आखिरी भाषण भी शर्मा को ही चुनाव जिताने के लिए दिया था। शर्मा यूपी की राजनीति में खास पैठ रखने वासे कल्याण सिंह और कलराज मिश्र के भी करीबी माने जाते है। शर्मा को लेकर कहा जाता है कि वे उन गिने चुने नेताओं में से हैं, जिन्हें पार्टी के अच्छे दिनों में सबसे ज्यादा ईनाम मिला है।
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Source : News Nation Bureau