logo-image

मुसलमानों के हितैषी नहीं अखिलेश, BJP या कांग्रेस को चुनें मुस्लिम मतदाता: मौलाना शहाबुद्दीन

मौलाना शहाबुद्दीन बरेलवी (Maulana Shahabuddin Bareilvi) ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा कि मैंने चुनाव के दरमियान मुसलमानों को अगाह करते हुए बताया था कि अखिलेश यादव मुसलमानों के हितैषी नहीं है.

Updated on: 14 Apr 2022, 08:18 AM

highlights

  • बड़े मुसलमान नेता जल्द से जल्द छोड़ दें समाजवादी पार्टी
  • यादव समुदाय को ही एकजुट नहीं कर पाए अखिलेश
  • बदले हालात के मुताबिक नए विकल्प चुनें मुसलमान

बरेली:

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) के बाद यूपी विधानपरिषद चुनाव (UP MLC Election 2022) में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) को बड़ी हार मिली है. समाजवादी पार्टी में इन हारों के साथ ही बगावत भी होनी शुरू हो गई है. कई मुस्लिम नेताओं के बाद अब आल इंडिया तंजीम उलेमा ए इस्लाम के महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन (Maulana Shahabuddin) ने अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और समाजवादी पार्टी पर बड़ा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव मुसलमानों के हितैषी नहीं है. वो सिर्फ खुद की सोचते हैं और मुसलमानों के वोटों से ही उन्हें मतलब है, मुसलमानों के विकास-प्रतिनिधित्व से नहीं. मौलाना ने कहा उत्तर प्रदेश के ही नहीं, बल्कि पूरे देश के मुसलमानों को राजनीतिक विकल्प के तौर पर कांग्रेस (Congress) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) जैसी राजनीतिक पार्टियों की तरफ देखना चाहिए, और उन्हें विकल्प के रूप में आजमाना चाहिए, क्योंकि क्षेत्रीय पार्टियों का जमाना खत्म हो गया है और वो सेकुलरिज्म के नाम पर मुसलमानों के सिर्फ वोट से ही मतलब रखती हैं. उन्होंने समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) को इसका सबसे बड़ा उदाहरण बताया. मौलाना शहाबुद्दीन (Maulana Shahabuddin) ने कहा कि अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने पूरी कैंपेनिंग में सिर्फ खुद को आगे रखा. एक भी मुसलमान नेता को बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी. यहां तक कि आजम खान जैसे दिग्गज को जेल से बाहर निकालने के लिए उन्होंने न तो कोई आंदोलन चलाया, न ही कोई सहयोग दिया. 

राजनीतिक विकल्प की ओर देखें मुसलमान

मौलाना शहाबुद्दीन बरेलवी (Maulana Shahabuddin Bareilvi) ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा कि मैंने चुनाव के दरमियान मुसलमानों को अगाह करते हुए बताया था कि अखिलेश यादव मुसलमानों के हितैषी नहीं है. उन्होंने हर जगह मुस्लिम बडे़ चेहरो को पीछे रखने की कोशिश की और अकेले चुनाव प्रचार करते रहे. उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी में ज़मीन और आसमान का फ़र्क है. इसलिये मुसलमान विकल्पों पर विचार विमर्श करें. मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा कि अब क्षेत्रीय पार्टियों का भविष्य नजर नहीं आ रहा है. धीरे-धीरे क्षेत्रीय पार्टियां हाशिए पर जा रही हैं. ऐसे में अब मुसलमानों को देश की दो राष्ट्रीय पार्टियों में से ही एक को विकल्प चुनना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर बीजेपी बड़ा दिल दिखाए तो मुसलमान उनके बारे में भी सोच सकते हैं.

बड़े मुसलमान नेता जल्द से जल्द छोड़ दें समाजवादी पार्टी

मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही राज्य के मुसलमान मायूस हैं. इन तमाम उपायों के बावजूद धर्मनिरपेक्ष दल, कही जाने वाली फिराकापरस्त ताकतों को सत्ता से हटाने में नाकाम रहे हैं और तब से यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि मुसलमानों का भविष्य क्या होगा? मुसलमानों में एक तरह का डर और निराशा है. लेकिन परिस्थितियां कैसी भी हों, मुसलमानों को निराश या भयभीत होने की जरूरत नहीं है. कोई समस्या है तो उसका समाधान भी है. यह भविष्य के लिए एक सबक है. हमें एक नई रणनीति के साथ आने की जरूरत है. मौलाना ने आगे कहा कि चुनाव के दरमियान मेरे द्वारा कहीं गई बातों का समाजवादी पार्टी के नेताओं ने विरोध किया था, मगर अब मेरी ही बातें उनको अच्छी लगने लगी है. उदाहरण के तौर पर आज़म खान और डॉ शफीकुर्रहमान बर्क़ के द्वारा दिए गए बयानों से ज़ाहिर है. मुसलमानों या सपा के वरिष्ठ लीडरों को मेरा मशवरा है कि जितनी जल्दी मुमकिन हो समाजवादी पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दें, इसी में उनकी भलाई है.

यादव समुदाय को ही एकजुट नहीं कर पाए अखिलेश

मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा कि आज जो स्थिति पैदा हुई है, उससे कई मुस्लिम भाई निराश नजर आ रहे हैं. यहां तक कि अच्छे लोग और धार्मिक समुदाय के लोग भी कह रहे हैं कि मुसलमानों का भविष्य बहुत अंधकारमय है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से मुसलमानों ने आजादी के बाद से देश भर में धर्मनिरपेक्ष वैचारिक दलों को साथ दिया है. लेकिन उन्हें आज तक कुछ नहीं मिला है. इसके विपरीत, कई दल अक्सर अपनी हार का ठीकरा मुसलमानों के सिर पर फोड़ते हैं, जैसा कि बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने हाल ही में अप्रत्यक्ष रूप से कि मुसलमानों ने हमें वोट नहीं दिया है, जबकि वह सच में कहना चाहती हैं कि मुसलमानों की वजह से उन्हें सीट नहीं मिली. समाजवादी पार्टी, जिसे मुसलमानों ने सामूहिक रूप से वोट दिया है, वह भी सत्ता खो चुकी है. समाजवादी पार्टी ने अपनी सीटों में इजाफा किया है, लेकिन उसे इतनी सीटें नहीं मिल पाई हैं, जिससे उनकी सरकार बन सके. इसका मुख्य कारण यह है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने स्वयं के समुदाय को पूरी तरह से एकीकृत नहीं कर पाए हैं. इसके बावजूद भी मुस्लिम वोट समाजवादी पार्टी को मिला, लेकिन कई जगहों पर अखिलेश यादव ने समुदाय के लोगों ने समाजवादी पार्टी को वोट नहीं दिया. जिसका सबूत है कि यादव बाहुल्य क्षेत्रों में बीजेपी ने 43 सीटों पर जीत हासिल की.

बदले हालात के मुताबिक नए विकल्प चुनें मुसलमान

मौलाना ने मुसलमानों को मशवरा दिया है कि अब नए हालात हैं और नए तकाज़े है इसके पेशेनज़र समाजवादी पार्टी के अलावा दूसरे विकल्पों पर विचार करना चाहिए और किसी भी पार्टी के खिलाफ मुखर होकर दुश्मनी मोल नहीं लेनी चाहिए. मैंने चुनाव के दरमियान मुसलमानों को अगाह करते हुए बताया था कि अखिलेश यादव मुसलमानों के हितैषी नहीं है. उन्होंने हर जगह मुस्लिम बडे़ चेहरो को पीछे रखने की कोशिश की और अकेले चुनाव प्रचार करते रहे.