'क्या हुआ सरकारों तुम्हारा वादा', 3 साल से मदद के लिए भीख मांग रही है शहीद हनुमनथप्पा की पत्नी.. नहीं मिली कोई मदद

हनुमनथप्पा की शहादत के बाद केंद्र और राज्य सरकार (कर्नाटक) ने उनके परिवार के एक सदस्य के लिए सरकारी नौकरी, घर और खेती के जमीन देने का वादा किया था. सरकार ने हनुमनथप्पा की बेटी के खुशहाल भविष्य के लिए मदद की भी बातें कही थीं.

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Sunil Chaurasia
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'क्या हुआ सरकारों तुम्हारा वादा', 3 साल से मदद के लिए भीख मांग रही है शहीद हनुमनथप्पा की पत्नी.. नहीं मिली कोई मदद

शहीद हनुमनथप्पा की पत्नी महादेवी और उनकी बेटी

देश की सुरक्षा करते हुए हिमस्खलन की चपेट में आकर बलिदान देने वाले हनुमनथप्पा का परिवार इस वक्त किस स्थिति में है, ये सच्चाई जानकर आप गुस्से से लाल हो जाएंगे. सियाचीन में ड्यूटी के दौरान हिमस्खलन की चपेट में आने के बाद वे करीब 6 दिनों तक 35 फीट ऊंचे बर्फ के पहाड़ के नीचे दबे रहे. बचान अभियान के दौरान उन्हें जिंदा निकाल तो लिया गया, लेकिन उन्होंने इलाज के दौरान 11 फरवरी 2016 को दम तोड़ दिया था. हनुमनथप्पा की इस शहादत को पूरे देश में करोड़ों सलाम मिले, लेकिन समय के साथ-साथ सभी हनुमनथप्पा की शहादत को भूल गए. इतना ही नहीं हनुमनथप्पा की पत्नी महादेवी की मानें तो केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भी अपने वादे से मुकर गईं. तो वहीं कर्नाटक सरकार ने भी परिवार को मदद के नाम पर धोखा दे दिया.

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हनुमनथप्पा की शहादत के बाद केंद्र और राज्य सरकार (कर्नाटक) ने उनके परिवार के एक सदस्य के लिए सरकारी नौकरी, घर और खेती के जमीन देने का वादा किया था. सरकार ने हनुमनथप्पा की बेटी के खुशहाल भविष्य के लिए मदद की भी बातें कही थीं. लेकिन सरकारी वादों का क्या हुआ, ये हकीकत अब सभी के सामने आ चुकी है. शहीद हनुमनथप्पा की पत्नी महादेवी ने बताया कि उन्हें अभी तक सरकारी नौकरी नहीं मिली. महादेवी ने कई बार सरकार के साथ संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिली. जिसके बाद उन्होंने सरकार से नौकरी की मांग करना ही बंद कर दिया.

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महादेवी ने बताया, 'दो साल पहले मुझे केंद्र सरकार की तरफ से एक पत्र मिला था। इसमें मुझसे धारवाड़ जिले में रेशम उत्‍पादन विभाग में नौकरी करने के संबंध में पूछा गया था. मैंने वहां छह से आठ महीने तक अस्‍थायी कर्मचारी के रूप में काम किया. इस दौरान मुझे छह हजार रुपये वेतन दिया गया. जब मैंने अधिकारियों से अपनी नौकरी पक्‍की करने की बात की तो उन्‍होंने कोई जवाब नहीं दिया.' उन्‍होंने नौकरी पाने के लिए काफी कोशिश की. महादेवी ने कर्नाटक के मुख्‍यमंत्री से लेकर कलेक्‍टर और कई अन्य बड़े अधिकारियों को नौकरी के संबंध में पत्र भेजा लेकिन कहीं से कोई जवाब नहीं मिला. जिसके बाद उन्होंने सरकार की ओर से मिलने वाली स्थाई नौकरी की सभी उम्मीदें खत्म हो गईं.

महादेवी ने कहा, 'केंद्रीय मंत्री स्‍मृति ईरानी ने मुझे सरकारी नौकरी दिलाए जाने को लेकर एक ट्वीट किया था. उनके हुबली आने पर मैंने उनसे मुलाकात की तो उन्‍होंने ऐसा कोई ट्वीट किए जाने से इनकार कर दिया. सरकारों की असंवेदनशीलता को देखते हुए अब मैंने नौकरी के लिए कहना छोड़ दिया है.' इतना ही नहीं कर्नाटक सरकार की ओर से शहीद की पत्नी को बेगदूर के पास दी गई चार एकड़ जमीन पर खेती नहीं की जा सकती है, वह जमीन पूरी तरह से बंजर है. परिवार को बारीदेवरकोप्‍पा नामक जगह पर घर के लिए एक एकड़ की जमीन और दी गई थी, जो अभी तक खाली पड़ा हुआ है. फिलहाल महादेवी को सबसे ज्यादा अपनी बेटी के भविष्‍य की फिक्र है. वे सरकार से अपनी बेटी के लिए निशुल्‍क शिक्षा की मांग कर रही हैं.

Source : Sunil Chaurasia

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