मार्शल ऑफ IAF अर्जन सिंह: एक ऐसा फाइटर पायलट जिसने सिर्फ 1 घंटे में छुड़ा दिए पाकिस्तान के छक्के
मार्शल ऑफ इंडियन एयरफोर्स अर्जन सिंह भारतीय एयरफोर्स के इतिहास में पहले प्रमुख हैं, जिन्होंने पहली बार देश के किसी युद्ध में एयरफोर्स का नेतृत्व किया।
highlights
- मार्शल ऑफ इंडियन एयरफोर्स अर्जन सिंह का दिल का दौरा पड़ने के बाद निधन
- अर्जन सिंह ने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में निभाई थी निर्णायक भूमिका
नई दिल्ली:
मार्शल ऑफ इंडियन एयरफोर्स अर्जन सिंह का दिल का दौरा पड़ने के बाद दिल्ली के सैन्य अस्पताल में निधन हो गया। अर्जन सिंह देश के एक मात्र ऐसे वायुसेना प्रमख रहे जिन्होंने युद्ध में एयरफोर्स का नेतृत्व किया।
अर्जन सिंह भारतीय वायुसेना के एकमात्र ऐसे अधिकारी थे जिन्हें फाइव स्टार रैंक फील्ड मार्शल की उपाधि मिली थी। 15 अप्रैल 1919 को पाकिस्तान के फैसलाबाद में जन्मे अर्जन सिंह सिर्फ 19 साल की उम्र में वायुसेना में भर्ती हो गए थे।
दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए जाने जाते थे अर्जन सिंह
मार्शल ऑफ इंडियन एयरफोर्स अर्जन सिंह के बहादुरी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1965 में जब पाकिस्तानी सेना ने टैंको के साथ अखनूर शहर पर हमला कर दिया तो रक्षा मंत्रालय ने तुरंत वायुसेना प्रमुख अर्जन सिंह को तलब किया।
सरकार ने उनसे पूछा कि वो कितनी देर में पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई के लिए एयरफोर्स को तैयार कर सकते हैं। अर्जन सिंह ने सरकार से सिर्फ 1 घंटे का समय मांगा। उसके बाद उन्होंने अपने नेतृत्व में 1 घंटे से भी कम समय में पाकिस्तानी सेना और टैंकों पर बम बरसाना शुरू कर दिया।
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पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में खुद अर्जन सिंह पाक सीमा में घुसकर दुश्मन देश के कई वायुसेना ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया। वायुसेना की अदम्य साहस की बदौलत भारत ने युद्ध में पाकिस्तान के दांत खट्टे कर दिए। उन्हें भारत सरकार ने 1 अगस्त 1964 को मार्शल पद के साथ ही चीफ ऑफ एयर स्टाफ बनाया।
देश की आजादी से पहले सिर्फ 19 साल की उम्र उन्होंने रॉयल एयरफोर्स ज्वाइन किया था जिसके बाद इन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बर्मा में बतौर फाइटर पायलट और कमांडर बेहद साहस के साथ युद्ध लड़ा था।
अर्जन सिंह की बदौलत ही ब्रिटिश भारतीय सेना इंफाल पर कब्जा कर पाने में सफल हुई थी जिसके बाद इन्हें डीएसफी की उपाधि से सम्मानित किया गया था।
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इतना ही नहीं जब हमारा देश आजाद हुआ तो पहले स्वतंत्रता दिवस पर इनके नेतृत्व में ही वायुसेना के 100 से ज्यादा विमानों ने लाला किले के ऊपर से फ्लाइंग पास्ट किया था।
अर्जन सिंह के विमान उड़ाने में तकनीकी कुशलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें 60 अलग-अलग तरह के विमानों को उड़ाने का अनुभव था।
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