इस्लाम के अंदर जन्नत में तय नहीं होता निकाह, हमें एक अादर्श निकाहनामा की जरूरत: शबाना

अपने जमाने की मशहूर अभिनेत्री शबाना आजमी का मानना है कि इस्लाम में जन्नत में निकाह तय नहीं होते, बल्कि यह तो एक अनुबंध की तरह होता है।

अपने जमाने की मशहूर अभिनेत्री शबाना आजमी का मानना है कि इस्लाम में जन्नत में निकाह तय नहीं होते, बल्कि यह तो एक अनुबंध की तरह होता है।

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इस्लाम के अंदर जन्नत में तय नहीं होता निकाह, हमें एक अादर्श निकाहनामा की जरूरत: शबाना

शबाना आजमी (फोटो: ट्विटर)

अपने जमाने की मशहूर अभिनेत्री शबाना आजमी का मानना है कि इस्लाम में जन्नत में निकाह तय नहीं होते, बल्कि यह तो एक अनुबंध की तरह होता है।

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सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन तलाक को असंवैधानिक बताए जाने के बाद उत्तर प्रदेश के मदरसों ने पुरुषों को तलाक के सही तरीके सिखाने की तैयारी की है। इसी पर लिखे एक लेख को शबाना ने ट्विटर पर शेयर किया है।

शबाना ने मंगलवार को ट्विटर पर लिखा, 'इस्लाम में निकाह कोई जन्नत में तय नहीं होता। यह एक अनुबंध है। हमें एक आदर्श 'निकाहनामा' की जरूरत है, जो सच्चे मन से तैयार किया गया अनुबंध हो।'

मशहूर लेखक और गीतकार जावेद अख्तर की पत्नी शबाना हमेशा से सामाजिक मुद्दों पर मुखर रही हैं। वह मिजवान वेलफेयर सोसाइटी नामक एनजीओ भी चलाती हैं। इसकी शुरुआत कैफी आजमी ने की थी।

पिछले सप्ताह उन्होंने तीन तलाक पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा था कि यह निर्णय देश में बहादुर मुस्लिम महिलाओं की जीत है।

एनजीओ की शुरुआत महिलाओं के लिए रोजगार का अवसर शुरू करने और चिकनकारी कढ़ाई की कला को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से शुरू हुई।

और पढ़ें: बकरीद पर कुर्बानी देना नाजायज, राष्ट्रीय मुस्लिम मंच ने ही उठाई आवाज़

HIGHLIGHTS

  • हमें एक आदर्श 'निकाहनामा' की जरूरत है, जो सच्चे मन से तैयार किया गया अनुबंध हो: शबाना
  • शबाना हमेशा से सामाजिक मुद्दों पर मुखर रही हैं, तीन तलाक पर आए SC के फैसले का स्वागत की थी

Source : IANS

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