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पाकिस्तानी हिन्दुओं के अच्छे दिन आए, हिन्दू मैरिज एक्ट को सीनेट ने दी मंजूरी

पाकिस्तानी संसद के उच्च सदन सीनेट में हिन्दू मैरिज एक्ट 2016 के पास हो जाने के बाद पाकिस्तान में हिन्दुओं की शादी के लिए कानून बन जाएगा।

Updated on: 02 Jan 2017, 07:18 PM

नई दिल्ली:

पाकिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यक हिन्दुओं के लिए राहत भरी खबर आई है। पाकिस्तान में सीनेट कमेटी ने अल्पसंख्यक हिन्दुओं के लिए हिन्दू मैरिज एक्ट को मंजूरी दे दी है। 4 महीने पहले ही पाकिस्तान के नेशनल असेंबली ने इस बिल को मंजूरी दे दी थी।

पाकिस्तानी संसद के उच्च सदन सीनेट में हिन्दू मैरिज एक्ट 2016 के पास हो जाने के बाद पाकिस्तान में हिन्दुओं की शादी के लिए कानून बन जाएगा।

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पाकिस्तान में हिन्दू मैरिज एक्ट पर काफी लंबे समय से विवाद और चर्चा चल रही थी। सीनेट के मानवाधिकार कमेटी ने  इस बिल के पेश होने के बाद इसे मंजूरी दे दी। नसरीन जलील की अध्यक्षता में बहस होने के बाद सीनेट कमेटी ने इस बिल पर अपनी सहमित की मुहर लगा दी।

पाकिस्तान में रह रहे हिन्दु परिवारों के बीच इस बिल को आसानी से मान लेने की संभावना जताई जा रही है। पाकिस्तान में हिन्दू मैरिज एक्ट के लागू हो जाने के बाद कोई भी हिन्दू परिवार अपनी शादी को पंजीकृत करा पाएंगे और शादी में अलगाव होने पर इसके खिलाफ कोर्ट में याचिका भी दायर कर पाएंगे।

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हिन्दू मैरिज एक्ट के लागू होने के बाद अगर कोई हिन्दू इस कानून को तोड़ता है तो उसे कोर्ट में बतौर सबूत अपनी शादी का शादीपत्र दिखाना होगा। ये ठीक वैसा ही है जैसा मुस्लिमों के लिए निकाहनामा दिखाना जरूरी होता है।

इस बिल के तहत पाकिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यक हिन्दुओं को पति या पत्नी की मौत हो जाने पर 6 महीने के बाद अपनी मर्जी से पुनर्विवाह करने का अधिकार भी मिलेगा। ये अधिकार उन्हें बिल के क्लाउज 17 के तहत मिलेगा।

पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक इस बिल को सीनेट से मंजूरी मिलने के बाद सदन में बैठे नेताओं और मंत्रियों ने मेज थपथपाकर इसपर अपनी खुशी जताई।

पाकिस्तान के नेशनल असेंबली में अल्पसंख्यक हिन्दुओं के नेता राकेश कुमार ने सीनेट से इस बिल को मंजूरी मिलने के बाद कहा कि ये पाकिस्तान में रह रहे हिन्दुओं के लिए नए साल को तोहफा है।

ये बिल सिंध प्रांत को छोड़कर पूरे पाकिस्तान में लागू होगा। सिंध में ये बिल इसलिए लागू नहीं होगा क्योंकि सिंध प्रांत ने पिछले साल ही अपने राज्य में रह रहे हिन्दुओं के लिए एक अलग हिन्दु शादी कानून बना लिया था।

पाकिस्तान की कुल जनसंख्या के मुकाबले वहां सिर्फ 1.6 फीसदी हिन्दू ही रहते हैं। 1947 में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद से ही वहां रह रहे हिन्दुओं के लिए शादी से जुड़ा कोई कानून नहीं बना था।