मराठा समुदाय को सरकारी नौकरी और शिक्षा में मिलेगा आरक्षण, मुख्यमंत्री ने की घोषणा
महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण देने का फैसला कर लिया है. राज्य सरकार ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार किया है.
मुंबई:
महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण देने का फैसला कर लिया है. राज्य सरकार ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार किया है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को कहा कि मराठा समुदाय को एक नई कैटगरी 'सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ा वर्ग' के तहत आरक्षण दिया जाएगा. बता दें कि महाराष्ट्र में राजनीतिक रूप से प्रभुत्व मराठा समुदाय की राज्य में 30 फीसदी आबादी है जो सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 16 फीसदी आरक्षण देने की मांग लंबे समय से कर रही थी.
महाराष्ट्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र को लेकर हुई कैबिनेट बैठक के बाद देवेंद्र फडणवीस ने कहा, 'राज्य सरकार ने मराठा आरक्षण के लिए पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है.'
उन्होंने कहा कि आरक्षण के प्रावधानों को कैबिनेट की सब-कमेटी के द्वारा आरक्षण मंजूरी के लिए बिल की तकनीकी पहलुओं को देखते हुए तैयार किया जाएगा. बिल को आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा.
सरकारी सूत्रों के अनुसार, आयोग की रिपोर्ट में मराठा समुदाय को 'सामाजिक और शैक्षणिक तौर पर पिछड़े नागरिक' के तौर पर पहचाना गया है जिनका सरकारी और अर्द्ध-सरकारी सेवाओं में बहुत कम प्रतिनिधित्व है.
इससे दो दिन पहले ही एक रैली में फडणवीस ने कहा था, 'पिछड़ा आयोग से हमने मराठा आरक्षण पर रिपोर्ट प्राप्त किया है. मैं आप सबसे अपील करता हूं कि 1 दिसंबर को जश्न मनाने की तैयारी कर लें.'
जब मुख्यमंत्री से पूछा गया कि मराठा समुदाय को प्रस्तावित आरक्षण मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट के द्वारा तय की सीमा को पार नहीं कर जाएगा तो उन्होंने कहा कि आयोग ने मराठा समुदाय की स्थिति को 'असाधारण और अपवाद स्वरूप' बताया है.
उन्होंने कहा, 'तमिलनाडु के मामले को ही देखें तो वहां आरक्षण 50 फीसदी की सीमा से ऊपर है जो सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, इसे अभी तक नहीं हटाया गया है. हम मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए आश्वस्त हैं.'
सरकारी सूत्रों की मानें तो रिपोर्ट में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) को पहले से मंजूर आरक्षण से छेड़छाड़ किए बगैर मराठा समुदाय के सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग के अनुकूल सिफारिशें की गई हैं.
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बता दें कि इससे पहले पूर्ववत पृथ्वीराज चव्हान के नेतृत्व वाली सरकार रोजगार और शिक्षा में मराठों को 16 फीसदी आरक्षण देने वाली अध्यादेश लायी थी लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट ने इसे खारिज खत्म कर दिया था.
महाराष्ट्र में मराठा समुदाय ने आरक्षण की मांग को लेकर इस साल 24 और 25 जुलाई को और दोबारा 9 अगस्त को विरोध प्रदर्शन किया था. मराठा आरक्षण के मुद्दे पर महाराष्ट्र के तीन विधायकों ने इस्तीफा भी दिया था. आरक्षण की मांग को लेकर राज्य में प्रदर्शन के दौरान 7 लोगों ने आत्महत्या कर ली थी.
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