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मन की बात: जनता कर्फ्यू से त्योहारों और किसानों तक...पढ़िए PM मोदी के भाषण की बड़ी बातें

मन की बात ( Mann ki Baat ) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) अपने 'मन की बात' कार्यक्रम के जरिए राष्ट्र को संबोधित कर रहे हैं.

Updated on: 28 Mar 2021, 12:03 PM

highlights

  • पीएम मोदी ने की मन की बात
  • कार्यक्रम का यह 75वां संस्करण
  • कई विषयों पर PM ने रखे विचार

नई दिल्ली:

मन की बात ( Mann ki Baat ) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने अपने 'मन की बात' कार्यक्रम के जरिए राष्ट्र को संबोधित किया. 'मन की बात' (Mann ki Baat) कार्यक्रम की यह 75वीं कड़ी है. आज के कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी ने कई विषयों पर अपनी बात कही और लोगों के विचार भी देश के सामने रखे. मालूम हो कि साल 2014 में जब से नरेंद्र मोदी सरकार सत्ता में आई है, तब से यह कार्यक्रम महीने के हर आखिरी रविवार को आयोजित किया जाता है. मार्च महीने के मध्य में प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे भारत के लोगों से इस कार्यक्रम के लिए उनके विचार और सुझाव मांगे थे. 

'मन की बात' के श्रोताओं का आभार जताया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्यक्रम की शुरुआत में 'मन की बात' के श्रोताओं का आभार जताया है. उन्होंने बहुत से लोगों ने अपने संदेश भेजे हैं. कई लोगों ने कई बड़ी महत्वपूर्ण बात कही है. उन्होंने बताया कि यह ‘मन की बात’ का 75वां संस्करण है. मैं आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं कि आपने इतनी बारीक नजर से ‘मन की बात’ को फॉलो किया है और आप जुड़े रहे हैं. ये मेरे लिए बहुत ही गर्व का विषय है, आनंद का विषय है. उन्होंने कहा कि ‘मन की बात’ के सभी श्रोताओं का आभार व्यक्त करता हूं, क्योंकि आपके साथ के बिना ये सफर संभव ही नहीं था.

पीएम मोदी ने होलिका दहन का जिक्र किया

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि ऐसा लगता है, मानो ये कल की ही बात हो, जब हम सभी ने एक साथ मिलकर ये वैचारिक यात्रा शुरू की थी. तब 3 अक्टूबर, 2014 को विजयादशमी का पावन पर्व था और संयोग देखिये, कि आज होलिका दहन है. एक दीप से जले दूसरा और राष्ट्र रोशन हो हमारा, इस भावना पर चलते-चलते हमने ये रास्ता तय किया है. हम लोगों ने देश के कोने-कोने से लोगों से बात की और उनके असाधारण कार्यों के बारे में जाना. आपने भी अनुभव किया होगा, हमारे देश के दूर-दराज के कोनों में भी, कितनी अभूतपूर्व क्षमता पड़ी हुई है. भारत मां की गोद में, कैसे-कैसे रत्न पल रहे हैं.

75वें एपिसोड तक क्या क्या रहे किस्से, मोदी ने बताया

नरेंद्र मोदी ने कहा, 'इन 75 एपिसोड के दौरान कितने-कितने विषयों से गुजरना हुआ. कभी नदी की बात तो कभी हिमालय की चोटियों की बात, तो कभी रेगिस्तान की बात, कभी प्राकृतिक आपदा की बात, तो कभी मानव-सेवा की अनगिनत कथाओं की अनुभूति, कभी टेक्नोलॉजी का आविष्कार, तो कभी किसी अनजान कोने में, कुछ नया कर दिखाने वाले किसी के अनुभव की कथा.' मोदी ने कहा कि ये अपने आप में भी एक समाज के प्रति देखने का, समाज को जानने का, समाज के सामर्थ्य को पहचानने का, मेरे लिए तो एक अद्भुत अनुभव रहा है. इस दौरान हमने समय-समय पर महान विभूतियों को श्रद्धांजलि दी, उनके बारे में जाना, जिन्होंने भारत के निर्माण में अतुलनीय योगदान दिया है. हम लोगों ने कई वैश्विक मुद्दों पर भी बात की, उनसे प्रेरणा लेने की कोशिश की है.

उन्होंने कहा कि मैं आज इस 75वें एपिसोड के समय सबसे पहले 'मन की बात' को सफल बनाने के लिए, समृद्ध बनाने के लिए और इससे जुड़े रहने के लिए हर श्रोता का बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं. देखिये कितना बड़ा सुखद संयोग है कि आज मुझे 75वीं ‘मन की बात’ करने का अवसर और यही महीना आज़ादी के 75 साल के ‘अमृत महोत्सव’ के आरंभ का महीना. मोदी ने कहा कि अमृत महोत्सव दांडी यात्रा के दिन से शुरू हुआ था और 15 अगस्त 2023 तक चलेगा. पीएम मोदी ने कहा कि किसी स्वाधीनता सेनानी की संघर्ष गाथा हो, किसी स्थान का इतिहास हो, देश की कोई सांस्कृतिक कहानी हो, ‘अमृत महोत्सव’ के दौरान आप उसे देश के सामने ला सकते हैं, देशवासियों को उससे जोड़ने का माध्यम बन सकते हैं.

आजादी के ‘अमृत महोत्सव’ का मतलब समझाया

आजादी के ‘अमृत महोत्सव’ का मतलब यही है कि हम नए संकल्प करें. उन संकल्पों को सिद्ध करने के लिए जी-जान से जुट जाएं और संकल्प वो हो जो समाज, देश की भलाई, भारत के उज्जवल भविष्य के लिए हो तथा संकल्प वो हो, जिसमें, मेरा, अपना, स्वयं का कुछ-न-कुछ जिम्मा हो, मेरा अपना कर्तव्य जुड़ा हुआ हो. मुझे विश्वास है कि गीता को जीने का ये स्वर्ण अवसर, हम लोगों के पास है. 

पीएम मोदी ने जनता कर्फ्यू का जिक्र किया

मन की बात कार्यक्रम में पीएम मोदी ने जनता कर्फ्यू का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष ये मार्च का ही महीना था, देश ने पहली बार जनता कर्फ्यू शब्द सुना था. लेकिन इस महान देश की महान प्रजा की महाशक्ति का अनुभव देखिये कि जनता कर्फ्यू पूरे विश्व के लिए एक अचरज बन गया था. उन्होंने कहा कि अनुशासन का ये अभूतपूर्व उदहारण था, आने वाली पीढ़ियां इस एक बात को लेकर जरूर गर्व करेगी. उन्होंने आगे कहा कि हमारे कोरोना वॉरियर्स के प्रति सम्मान और आदर के लिए भी लोगों का थाली बजाना, ताली बजाना, दिया जलाना उनके दिल को छू गया था. इसी कारण कोरोना वॉरियर्स सालभर डटे रहे. 

दोहराया 'दवाई भी-कड़ाई भी' का मंत्र

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत में दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन प्रोग्राम चल रहा है. इन सबके बीच, कोरोना से लड़ाई का मंत्र भी जरुर याद रखिए- 'दवाई भी-कड़ाई भी'. उन्होंने कहा कि सिर्फ मुझे बोलना है- ऐसा नहीं, हमें जीना भी है, बोलना भी है, बताना भी है. और लोगों को 'दवाई भी-कड़ाई भी' मंत्र के लिए प्रतिबद्ध बनाते रहना भी है. 

नरेंद्र मोदी ने कृषि सेक्टर का जिक्र किया

नरेंद्र मोदी ने कहा कि जीवन के हर क्षेत्र में नयापन, आधुनिकता और अनिवार्य होती है, वरना वही कभी-कभी हमारे लिए बोझ बन जाती है. भारत के कृषि जगत में- आधुनिकता ये समय की मांग है. बहुत देर हो चुकी है. हम बहुत समय गवां चुके हैं. मोदी ने कहा कि कृषि सेक्टर में रोजगार के नए अवसर पैदा करने, किसानों की आय बढ़ाने और परंपरागत कृषि के साथ ही नए विकल्पों को, नए-नए इनोवेशन को अपनाना भी जरूरी है. श्वेत क्रांति के दौरान देश ने इसे अनुभव किया है.

मोदी ने मधुमक्खी पालन पर दिया जोर

उन्होंने कहा कि अब मधुमक्खी पालन भी ऐसा ही एक विकल्प बन करके उभर रहा है. हनी बी फार्मिंग में केवल शहद से ही आय नहीं होती, बल्कि बी वैक्स (मोम) भी आय का एक बहुत बड़ा माध्यम है. आज तो पूरी दुनिया आयुर्वेद और प्राकृतिक स्वास्थ्य उत्पाद की ओर देख रही है. ऐसे में शहद की मांग और भी तेजी से बढ़ रही है. हमारा देश फिलहाल मधुमक्खी के मोम का आयात करता है, लेकिन हमारे किसान अब ये स्थिति तेजी से बदल रहे हैं यानि एक तरह से आत्मनिर्भर भारत अभियान में मदद कर रहे हैं. मोदी ने कहा कि मैं चाहता हूं देश के ज्यादा-से-ज्यादा किसान अपनी खेती के साथ-साथ बी फार्मिंग से भी जुड़ें. ये किसानों की आय भी बढ़ाएगा और उनके जीवन में मिठास भी घोलेगा.

प्रकृति, पर्यावरण, पक्षी के बचाने का प्रयास करें- मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों से प्रकृति, पर्यावरण, पक्षी के बचाने का प्रयास किया. उन्होंने कहा, 'पहले हमारे घरों की दीवारों पर, आस-पास के पेड़ों पर गोरैया चहकती रहती थी. लेकिन अब लोग गोरैया को ये कहकर याद करते हैं कि पिछली बार, बरसों पहले, गोरैया देखा था. आज इसे बचाने के लिए हमें प्रयास करने पड़ रहे हैं.' उन्होंने कहा कि मैं चाहूंगा प्रकृति, पर्यावरण, प्राणी, पक्षी जिनके लिए भी बन सके, कम-ज्यादा प्रयास हमें करने चाहिए.

'कचरे से कंचन' बनाने का जिक्र

इस दौरान नरेंद्र मोदी ने 'कचरे से कंचन' बनाने की बात कही. उन्होंने कहा, 'वेस्ट से वैल्थ यानी कचरे से कंचन बनाने के बारे में हम सबने देखा भी है, सुना भी है और हम भी औरों को बताते रहते हैं. कुछ उसी प्रकार से वेस्ट को वैल्यू में बदलने का भी काम किया जा रहा है.' आज जब भारत खिलौनों की विनिर्माण में काफी आगे बढ़ रहा है तो वेस्ट से वैल्यू के अभियान, ये अभिनव प्रयोग बहुत मायना रखते हैं. 

हर देशवासी को भारतीय होने पर गर्व

प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरे प्यारे देशवासियों भारत के लोग दुनिया के किसी कोने में जाते हैं तो गर्व से कहते हैं कि वो भारतीय हैं. उन्होंने कहा कि हम अपने योग, आयुर्वेद और दर्शन, न जाने क्या कुछ नहीं है हमारे पास, जिसके लिए हम गर्व करते हैं और गर्व की बातें करते हैं. साथ ही अपनी स्थानीय भाषा, बोली, पहचान, पहनाव, खान-पान उसका भी गर्व करते हैं. मोदी ने कहा कि हमें नया तो पाना है और वही तो जीवन होता है, लेकिन साथ-साथ पुरातन गंवाना भी नहीं है. हमें बहुत परिश्रम के साथ अपने आस-पास मौजूद अथाह सांस्कृतिक धरोहर का संवर्धन करना है, नई पीढ़ी तक पहुंचाना है.

देशवासियों को त्योहारों की शुभकामनाएं दीं

पीएम मोदी ने देश में आने वाले त्योहारों पर भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि यह समय नई शुरुआत और नए उत्सवों के आगमन का है. जिस समय हम रंगों के साथ होली मना रहे होते हैं, उसी समय बसंत भी हमारे चारों ओर नए रंग बिखेर रहा होता है. इसी समय फूलों का खिलना शुरू होता है और प्रकृति जीवंत हो उठती है. उन्होंने कहा कि देश के अलग-अलग क्षेत्रों में जल्द ही नया साल भी मनाया जाएगा. चाहे उगादी हो या पुथंडू, गुड़ी पड़वा हो या बिहू, नवरेह हो या पोइला बोईशाख हो या बैसाखी. पूरा देश, उमंग, उत्साह और नई उम्मीदों के रंग में सराबोर दिखेगा. इसी समय केरल भी खूबसूरत त्योहार विशु मनाता है.

मोदी ने कहा, 'जल्द ही चैत्र नवरात्रि का पावन अवसर भी आ जाएगा. चैत्र महीने के नौवें दिन हमारे यहां रामनवमी का पर्व होता है. इसे भगवान राम के जन्मोत्सव के साथ ही न्याय और पराक्रम के एक नए युग की शुरुआत के रूप में भी मना जाता है. इस दौरान चारों ओर धूमधाम के साथ ही भक्तिभाव से भरा माहौल होता है, जो लोगों को और करीब लाता है, उन्हें परिवार और समाज से जोड़ता है, आपसी संबंधों को मजबूत करता है. 4 अप्रैल को देश ईस्टर भी मनाएगा. इन त्योहारों के अवसर पर मैं सभी देशवासियों को शुभकामनाएं देता हूं.'