प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को युद्ध के समय देश की रक्षा करने और आपदा राहत अभियानों में योगदान के लिए भारतीय वायुसेना की प्रशंसा की। मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में कहा, 'वायुसेना का गठन 1932 में हुआ था। उस समय छह पायलट और 19 जवान थे लेकिन आज यह दुनिया की सबसे शक्तिशाली और बहादुर सेनाओं में शुमार है।'
उन्होंने कहा, 'देश की सेवा करने के लिए मैं तहे दिल से वायुसेना के योद्धाओं और उनके परिजनों का धन्यवाद करता हूं।' आगामी वायुसेना दिवस के संदर्भ में उन्होंने 1947 से अब तक हुए विभिन्न युद्धों में वायुसेना के योगदान को याद किया। आठ अक्टूबर 1932 को गठित होने के कारण इस दिन वायुसेना दिवस मनाया जाता है।
मोदी ने बताया कि 1947 में पाकिस्तान के हमले के बाद वायुसेना ने विकट परिस्थिति में जवानों और आवश्यक उपकरणों को युद्ध के मैदान पर पहुंचाया था। उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान ने 1947 में जब श्रीनगर पर हमला कर दिया था तो वायुसेना ने सैनिकों को समय पर युद्धस्थल पर पहुंचने में मदद की थी। इसके अलावा 1965 में भी वायुसेना ने दुश्मनों को करारा जवाब दिया था।'
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, '1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता का युद्ध किसे याद नहीं है? 1999 में कारगिल युद्ध में वायुसेना ने उल्लेखनीय योगदान किया था।'
उन्होंने राहत कार्यक्रमों में योगदान देने के लिए भी वायुसेना का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा, 'चाहे राहत अभियान हो या आपदा से पूर्व तैयारी, वायुसेना के योद्धाओं के प्रशंसनीय योगदान के लिए हम उनके आभारी रहेंगे।' उन्होंने महिला सैन्य अधिकारियों को स्थाई कमिशन का विकल्प दिए जाने का भी उल्लेख किया।
उन्होंने कहा, 'उन्होंने देश की बेटियों के लिए अपने सभी विभागों के दरवाजे खोलकर इस क्षेत्र में लैंगिक समानता को सुनिश्चित किया है।' उन्होंने कहा 'वायुसेना ने शॉर्ट सर्विस कमिशन के साथ-साथ अब परमानेंट कमिशन का विकल्प भी दे दिया है जिसकी घोषणा मैं 15 अगस्त को कर चुका हूं।'
मोदी ने कहा, 'भारत अब गर्व के साथ कह सकता है कि उसके सैन्य बलों में सिर्फ पुरुष ही नहीं बल्कि महिला शक्ति ने भी योगदान दिया है।'
Source : News Nation Bureau