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Mann Ki Baat: बुके नहीं बुक देने की परंपरा शुरू करें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता से फिर किया आग्रह

Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने मन की बात में जनता से आदर सत्कार में फूलों के बजाय किताबें देनी चाहिए. उन्होंने जनता से किताबें पढ़ने का भी आग्रह किया है. लोगों को कोई ना कोई किताब जरूर पढ़ना चाहिए.

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Dhirendra Kumar
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Mann Ki Baat: बुके नहीं बुक देने की परंपरा शुरू करें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता से फिर किया आग्रह

Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi)

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Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने मन की बात में जनता से बुक की बजाय बुके देने की परंपरा शुरू करने का फिर से आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि लोगों को आदर सत्कार में फूलों के बजाय किताबें देनी चाहिए. उन्होंने जनता से किताबें पढ़ने का भी आग्रह किया है. लोगों को कोई ना कोई किताब जरूर पढ़ना चाहिए.

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प्रेमचंद की कहानियां सहज और सरत होती हैं: मोदी
उन्होंने कहा कि किताबों में जीवन में होने वाली गलतियों से बचने की सीख मिलती है. उनका कहना है कि हालही में उन्हें किसी ने प्रेमचंद की लोकप्रिय कहानियां नाम की किताब दी. कुछ कहानियां फिर से पढ़ने का समय मिला. उनकी कहानियां सहज होती हैं. नरेंद्र मोदी ने कहा कि प्रेमचंद की कहानियों में समाज का यर्थाथ चित्रण किया है. उनकी किताबें पढ़ते समय मन में समाज की एक छवि बन जाती है. प्रेमचंद की लिखी एक-एक बात जीवंत होती है. उनकी कहानियों में समूचे भारत का मनोभाव समाहित होता है.

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उनका कहना है कि प्रेमचंद की कहानी नशा पढ़ते समय उनका मन समाज में फैली आर्थिक विषमताओं की ओर चला गया. इस कहानी से ये सीख मिलती है कि अगर आप सावधान नहीं है तो आपके साथ बुरी संगत का असर कब चढ़ जाता है आपको पता ही नहीं चलता है. उन्होंने कहा कि दूसरी कहानी ईदगाह ने भी उन्हें बहुत प्रभावित किया है. इस कहानी ने मेरे मन को अंदर तक छू लिया.

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इस कहानी में एक बालक की अपनी दादी के प्रति अटूट प्रेम और संवेदनशीलता ने उन्हें काफी प्रभावित किया. इस कहानी में छोटा बच्‍चा हामिद अपनी दादी के लिए चिमटा लेकर मेले से आता है. उन्होंने कहा कि सच मायने में मानवीय संवेदना अपने चरम पर पहुंच जाती है. इसमें बच्‍चा हामिद बूढ़ा हामिद बन गया था और बुढ़ी आमीना बच्‍ची बन गई थी. ऐसी ही एक मार्मिक कहानी है पूस की रात की कहानी, जिसमें समाज का वास्तविक चित्रण किया गया है.

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जनमानस को राह दिखा रही है अक्षरा लाइब्रेरी
उन्होंने कहा कि पढ़ाई की बात हो रही है तो केरल की अक्षरा लाइब्रेरी की चर्चा होना जरूरी है. आश्चर्य होगा इडुक्की के घने जंगलों में बसे एक छोटे से गांव में हैं. यहां के प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक पीके मुरलीधरन और छोटी सी चाय की दुकान चलाने वाले पी वी चिन्नाथम ने इस लाइब्रेरी के लिए अथक परिश्रम किया है. आज यह लाइब्रेरी आमजनमानस को राह दिखा रही है.

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