पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश की जीडीपी, अर्थव्यवस्था में मंदी और नौकरियों में कमी को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है. उनका कहना है कि फिलहाल देश की स्थिति बेहद चिंताजनक है. पिछली तिमाही की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 5 फीसदी इस बात के साफ संकेत देती है कि हम एक लंबे समय से मंदी के बीच में हैं.
उन्होंने कहा, देश में इससे कहीं ज्यादा दर पर वृद्धि की क्षमता है लेकिन मोदी सरकार के कुप्रबंध के कारण आज अर्थव्यवस्था में मंदी देखने को मिल रही है. मनमोहन सिंह ने कहा, यह विशेष रूप से परेशान करने वाला तथ्य है कि मैन्यूफैक्टरिंग सेक्टर की वृद्धि 0.6% से कम हो रही है. इससे ये साफ पता चलता है कि हमारी अर्थव्यवस्था अभी तक नोटबंदी जैसी गलती और जल्दबाजी में लागू की गई जीएसीटी से उबर नहीं पाई है.
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पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, घरेलू मांग की स्थिति बेहद चिंताजनक है और खपत में वृद्धि भी 18 महीने के निचले स्तर पर है. नाममात्र जीडीपी विकास 15 साल के निचले स्तर पर है.
वहीं बढ़ती बेरोजगारी के बारे में बात करते हुए उन्होंने इसकी बड़ी वजह मोदी सरकार की नीतियों को बताया. उन्होंने कहा, केवल ऑटोमोबाइल सेक्टर में ही 3.5 लाख लोग अपनी नौकरी खो चुके हैं. इसी तरह अनौपचारिक क्षेत्र में बड़े पैमाने पर नौकरी का नुकसान होगा. इसके अलावा किसानों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, किसानों को पर्याप्त मूल्य नहीं मिल रहा है और ग्रामीण आय में गिरावट आई है.
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मनमोहन सिंह ने कहा, कि संवैधानिक संस्थाओं पर हमले किए जा रहे हैं. सरकार ने आरबीआई से 1.76 लाख करोड़ रुपये लिए, लेकिन उसके पास कोई योजना नहीं है कि इस पैसे के साथ क्या होगा. वहीं सरकार जो डेटा उपलब्ध करती है उसकी विश्वसनियता भी सवालों के घेरे में आ गई है. बजट की घोषणाओं को वापस लिया गया, जिससे अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का विश्वास डगमगा गया. उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक बदलाव के कारण वैश्विक व्यापार में पैदा हुए मौकों का लाभ लेने में भारत नाकाम रहा और वह अपना निर्यात तक बढ़ा नहीं पाया. मोदी सरकार में आर्थिक प्रबंधन की यह हालत है.