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Manmohan Singh Birthday: 10 साल के कार्यकाल में मनमोहन सिंह के पांच बड़े फैसले, जानें देश को क्या मिला

Manmohan Singh Birthday: अर्थव्यवस्था को लेकर पीएम मनमोहन सिंह ने देश को नई दिशा दी, इससे देश में व्यापार नीति, औद्योगिक लाइसेंसिंग, बैंकिंग क्षेत्र में काफी लाभ मिला.

Updated on: 26 Sep 2023, 12:47 PM

नई दिल्ली:

Manmohan Singh Birthday: देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का आज 91वें साल के हो गए.  उनका जन्म 26 सितंबर 1932 में अविभाजित भारत में हुआ था. वे दो टर्म तक देश के पीएम रहे. मनमोहन सिंह को लोगों ने बहुत बोलते नहीं देखा होगा. सार्वजनिक मंचों पर भी वे कम बोलते दिखाई दिए. हाल ही में वे संसद में पेश हुए. अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग प्रक्रिया के वक्त उन्हें देखा गया. वे राज्यसभा में व्हील चेयर पर दिखाई दिए. इसको लेकर उनकी उपस्थिति की सराहना हुई. लोगों ने कहा, वे दायित्व से पीछे नहीं हटे. आइए उनके कार्यकाल में लिए गए बड़े फैसलों पर एक नजर डालें: 

अर्थव्यवस्था को लेकर पीएम मनमोहन सिंह ने देश को नई दिशा दी  है. डॉ मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक यूपीए की सरकार में बतौर पीएम पद पर रहे. 1991 में देश के वित्त मंत्री का पद संभाला. उस समय नरसिम्हा राव की सरकार थी. विशेषज्ञों का कहना है कि उन्होंने उस दौरान बड़े फैसले लिए, जिसकी वजह देश में आर्थिक सुधारों को बल मिला था. उन्होंने उस साल बजट पेश करते हुए वैश्विकरण, उदारीकरण और निजीकरण जैसे कई बड़े ऐलान किए. इससे भारत की अर्थव्यवस्था को ताकत मिली.  देश में व्यापार नीति, औद्योगिक लाइसेंसिंग, बैंकिंग क्षेत्र में काफी लाभ मिला. इस समय मनमोहन सिंह राज्यसभा सांसद हैं. आइए जानते हैं, उनके पांच बड़े फैसले. 

1- देश में आर्थिक सुधारों के दरवाजे खोले 

देश में उस समय फिस्कल डेफिसिट यानी राजकोषीय घाटा बड़ा था. वहीं सकल घरेलू उत्पाद 8.5 के आसपास था. एक साल के अंदर मनमोहन सिंह ने उसे 5.9 फीसदी के स्तर पर लाने में सफलता हासिल की थी. उन्होंने ग्लोबलाइजेशन की शुरूआत की थी. 1991 से 1996 के बीच उन्होंने आर्थिक सुधारों के लिए जो फैसले लिए. उसकी पूरी दुनिया तारीफ करती है. मनमोहन सिंह ने आर्थिक उदारीकरण को पेश किया. भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व बाजार से जोड़ा. आयात और निर्यात को आसान बनाया. लाइसेंस और परमिट को सरल बनाया. 

2- साल में 100 दिन रोजगार गारंटी

बेरोजगारी से जूझ रहे देश में रोजगार गारंटी योजना को आरंभ किया.  साल में 100 दिन के रोजगार और इसके लिए न्यूनतम दैनिक मजदूरी 100 रुपये रखी गई. इस योजना का नाम राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NREGA) दिया गया. 2 अक्टूबर 2009 के बाद इसका दोबारा से नामकरण किया गया. इसकी खास बात है कि योजना में पुरुषों और महिलाओं के बीच किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं है. इस योजना के तहत पुरुषों और महिलाओं को समान वेतन भुगतान किया जा सकता है. आवेदक बेरोजगारी भत्ता के हकदार भी होंगे. 2005 में मनरेगा यानी महात्मा गांधी नेशनल रूरल एंप्लॉयमेंट गारंटी एक्ट लेकर आए. इसे 200 जिलों में शुरू किया गया. इसे 2007 से 2008 तक अन्य 130 जिलों में फैलाया. एक अप्रैल 2008 तक तक इसे 593​ जिलों में लागू कराया गया. 

3- आधार कार्ड योजना की यूएन तारीफ

आधार कार्ड योजना को लाया गया. इसकी तारीफ संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी की. यूएन ने कहा था कि आधार स्कीम भारत की बेहतरीन योजनाओं में से एक है. भारतीय विशिष्‍ट पहचान प्राधिकरण (Unique Identification Authority of India) सन् 2009 में मनमोहन सिंह के वक्त में गठित किया गया.  सरकार की इस बहुउद्देशीय योजना को तैयार किया गया. इससे देश के हर व्यक्ति की पुख्ता पहचान की शुरुआत हुई. आज आधार हर जगह उपयोग में लाया जाता है. चाहें वह बैक अकाउंट हो या ट्रैवल टिकट हो. 

4-न्यूक्लियर डील ऐतिहासिक पल था

भारत और अमेरिका के बीच न्यूक्लियर डील ऐतिहासिक पल था. साल 2002 में एनडीए से की बागडोर यूपीए के हाथ गई थी. इस दौरान गठबंधन सरकार थी. कई तरह के तमाम प्रेशर के बीच भारत ने इंडो यूएस न्यूक्लियर डील को अंजाम दिया गया. इसके बाद से भारत न्यूक्लियर हथियारों के मामले में ताकतवर देश बनकर उभरा. 

5- राइट टु एजुकेशन

मनमोहन सिंह के दस साल के कार्यकाल में ही राइट टु एजुकेशन यानी शिक्षा का अधिकार कानून सामने आया. इसके तहत 6 से 14 साल के बच्चों के लिए शिक्षा अनिवार्य होगी. ऐसा कहा गया कि इस उम्र के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा मिलनी ही चाहिए.