नीति आयोग के उपाध्यक्ष की 'साफगोई' पर कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेरा, कही ये बड़ी बात
नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार के इस बयान के बाद कांग्रेस मोदी सरकार पर हमलावर हो गई है. कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि आपको कैसे लगता है कि वित्त मंत्री अर्थव्यवस्था पर बोलेंगी?
नई दिल्ली:
देश में मंदी का खतरा बढ़ता जा रहा है, ऑटो सेक्टर समेत कई सेक्टर से नौकरियां जाने का सिलसिला शुरू हो गया है. इस बीच नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने भी माना कि देश पिछले 70 सालों में ऐसी स्थिति का सामना नहीं किया था जैसा कि अब कर रहा है. राजीव कुमार ने कहा कि देश वित्तीय संकट से जूझ रहा है. कांग्रेस ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार की तारीफ करते हुए कहा कि देश की अर्थव्यवस्था पर सच बोलने के लिए राजीव कुमार बधाई के पात्र हैं.उन्होंने स्वीकार किया है कि अर्थव्यवस्था में ऐसी परिस्थिति 70 साल में कभी उत्पन्न नहीं है जो आज है.
क्या वित्त मंत्री देंगी जवाब?
इसके साथ ही कांग्रेस मोदी सरकार पर हमलावर हो गई है. कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि आपको कैसे लगता है कि वित्त मंत्री अर्थव्यवस्था पर बोलेंगी? किसी भी मंत्री ने कब अपने ही मंत्रालय में बात की है? यह अनुमान है लेकिन अगर वो (निर्मला सीतारमण) ऐसा करती है तो उन्हें मूलभूत सवालों के जवाब देने की आवश्यकता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था बिना सुधार के कैसे गिर गई?'
देश की अर्थव्यवस्था के लिए बीजेपी नेहरू को ठहराएगी जिम्मेदार
मनीष तिवारी ने मोदी सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि बीजेपी सरकार इसके लिए भी पंडित जवाहरलाल नेहरू को दोषी ठहराएगी. लेकिन हकीकत यह है कि सरकार ने यह स्थिति खुद ही पैदा की है क्योंकि नोटबंदी और जल्दबाजी में लागू गयी जीएसटी के कारण यह स्थिति बनी है.
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3 करोड़ लोगों हो सकते हैं बेरोजगार
मनीष तिवारी ने कहा कि देश में इकॉनमी की हालात खराब है बहुत विकृत स्थिति में है.तिवारी ने कुछ आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि करीब तीन करोड़ लोगों के बेरोजगार होने का खतरा है, वो किसी भी समय सड़क पर आ सकते हैं.
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बता दें कि नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने भी शुक्रवार को कहा कि भारत ने पिछले 70 साल में ऐसी अभूतपूर्व स्थिति का सामना नहीं किया है.पूरी वित्तीय प्रणाली जोखिम में है और कोई किसी पर भरोसा नहीं कर रहा है. राजीव कुमार ने अर्थव्यवस्था में सुस्ती की स्थिति के लिए बगैर सोचे-समझे दिए गए कर्ज को ही जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि 2009-14 के दौरान बिना सोचे-समझे कर्ज दिए गए. इससे 2014 के बाद नॉन परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) बढ़ी है. इस कारण ही बैंकों की नया कर्ज देने की क्षमता कम हुई है. इस कमी की भरपाई गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) ने की है. इनके कर्ज में 25 फीसदी की वृद्धि हुई. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि वित्तीय क्षेत्र में दबाव से निपटने और आर्थिक वृद्धि को गति के लिए केंद्रीय बजट में कुछ कदमों की घोषणा की जा चुकी है.
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