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भाजपा के 12 विधायकों को अयोग्य ठहराने के मामले पर जल्द फैसला लेंगे मणिपुर के राज्यपाल

भाजपा के 12 विधायकों को अयोग्य ठहराने के मामले पर जल्द फैसला लेंगे मणिपुर के राज्यपाल

Updated on: 11 Nov 2021, 08:00 PM

नई दिल्ली:

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया कि मणिपुर के राज्यपाल लाभ के पद के मामले में भाजपा के 12 विधायकों को अयोग्य ठहराने पर चुनाव आयोग की राय पर जल्द ही फैसला लेंगे।

न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना के साथ ही न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपनी बात रखी।

जनवरी में भारत के चुनाव आयोग द्वारा दी गई राय का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 192 के अनुसार, राज्यपाल को निर्णय लेने होते हैं और पिछले 11 महीने में कुछ नहीं हुआ है। पीठ ने कहा कि अदालत एक आदेश पारित नहीं करना चाहती है, लेकिन इस संबंध में जल्द ही प्रक्रिया आगे बढ़नी चाहिए।

मेहता ने उत्तर दिया, मैं विश्वास दिलाता हूं कि हम कुछ करेंगे और किसी निर्देश को पारित करने की आवश्यकता नहीं होगी।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मौखिक रूप से कहा था कि मणिपुर के राज्यपाल लाभ के पद के मुद्दे पर मणिपुर विधानसभा के 12 भाजपा विधायकों की अयोग्यता के संबंध में चुनाव आयोग की सिफारिश पर फैसले में देरी नहीं कर सकते।

याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया था कि एक संवैधानिक प्राधिकरण निर्णय को लंबित नहीं रख सकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कार्यकाल और पद की समाप्ति में सिर्फ एक महीना बाकी है।

चुनाव आयोग का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने पीठ के समक्ष कहा कि उनकी राय राज्यपाल पर बाध्यकारी है। चुनाव आयोग ने इस साल जनवरी में राय दी थी।

पीठ ने वकील की दलीलों पर सहमति जताई कि राज्यपाल मामले में निर्णय में देरी नहीं कर सकते। पीठ ने राजीव गांधी के दोषियों के मामले का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं जहां राज्यपाल को समयबद्ध तरीके से निर्णय लेने के लिए कहा गया है।

पीठ ने निर्णय को रिकॉर्ड में लाने की मांग वाली याचिका पर राज्यपाल के सचिव को नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को निर्धारित की थी।

शीर्ष अदालत कांग्रेस विधायक डी. डी. थैसी की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें भाजपा के 12 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि ये विधायक संसदीय सचिव का पद संभाल रहे हैं जो लाभ का पद है।

राज्य सरकार के वकील ने यह कहते हुए स्थगन की मांग की थी कि सॉलिसिटर जनरल एक अन्य पीठ के समक्ष व्यस्त हैं, लेकिन पीठ ने जवाब दिया कि सरकार स्थगन लेकर इस याचिका को निष्फल नहीं बना सकती है। इसके अलावा अदालत ने अवधि समाप्त होने में शेष बचे एक महीने की ओर भी इशारा किया।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.