बीजेपी का मिशन पूर्वोत्तर: असम के बाद अब मणिपुर में भी बन सकती है सरकार!

असम में स्पष्ट बहुमत की सरकार बनाने के बाद एग्जिट पोल के आंकड़ों पर भरोसा करे, तो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पूर्वोत्तर के दूसरे राज्य में कांग्रेस को उसके गढ़ में कड़ी चुनौती देने जा रही है।

असम में स्पष्ट बहुमत की सरकार बनाने के बाद एग्जिट पोल के आंकड़ों पर भरोसा करे, तो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पूर्वोत्तर के दूसरे राज्य में कांग्रेस को उसके गढ़ में कड़ी चुनौती देने जा रही है।

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Abhishek Parashar
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बीजेपी का मिशन पूर्वोत्तर: असम के बाद अब मणिपुर में भी बन सकती है सरकार!

मणिपुर में सरकार बना सकती है बीजेपी (फाइल फोटो)

असम में स्पष्ट बहुमत की सरकार बनाने के बाद एग्जिट पोल के आंकड़ों पर भरोसा करे, तो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पूर्वोत्तर के दूसरे राज्य में कांग्रेस को उसके गढ़ में कड़ी चुनौती देने जा रही है।

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आजतक-सिसेरो द्वारा किए गए एग्जिट पोल में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर सकती है और बहुमत के करीब है। जबकि इंडिया टीवी-सी वोटर के सर्वेक्षण के अनुसार बीजेपी को 25 से 31 सीटें मिलने का अनुमान है जबकि कांग्रेस को 17-23 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है।

सी वोटर के मुताबिक मणिपुर में बीजेपी को कुल 33.6 फीसदी वोट मिलने की संभावना है। वहीं कांग्रेस का वोट प्रतिशत कम होकर 25.5 फीसदी होने की संभावना है। सी वोटर इंडिया सर्वे के मुताबिक 2017 के चुनाव में सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को होने जा रहा है। पार्टी को इस बार 20 सीटों का नुकसान हो सकता है।

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मौजूदा आंकड़ों को देखकर कहा जा सकता है कि 60 सीटों वाले मणिपुर विधानसभा में बीजेपी, कांग्रेस को कड़ी टक्कर देती नजर आर रही है। कांग्रेस पिछले 15 सालों से इस राज्य में सत्तारूढ़ है।

पिछले वर्ष बीजेपी ने असम में पूर्ण बहुमत हासिल करके उत्तर-पूर्व में अपना खाता खोला था और तरुण गगोई की 15 साल पुरानी सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया था। पार्टी ने असम की 126 में से 86 सीटों पर जीत हासिल करके पूर्ण बहुमत प्राप्त किया था।

सीमाई राज्य होने की वजह से पूर्वोत्तर हमेशा से ही बीजेपी और आएएसएस की केंद्रीय योजना का हिस्सा रहा है। मणिपुर में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर होने का मतलब साफ है, कि बीजेपी अपने पूर्वोत्तर मिशन की रणनीति को सही दिशा में आगे बढ़ाने में सफल रही है।

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मणिपुर में कांग्रेस ने इबोबी सिंह के नेतृत्व में चुनाव लड़ा, लेकिन पिछले 6 माह से कांग्रेस के नेताओं के पार्टी छोड़कर बीजेपी का दामन थामा है। ज्यादातर नेता कुकी जनजाति से संबंधित हैं जो कि कांग्रेस का परंपरागत वोट रहा है। असम में भी ऐसा ही हुआ था। जब पार्टी के नेताओं ने पूर्व मुख्यमंत्री तरूण गोगोई के खिलाफ बगावत करते हुए बीजेपी का दामन थाम लिया था।

बल्कि असम में कांग्रेस की हार के लिए सबसे बड़ा कारण हेमंत बिस्वा शर्मा का बीजेपी में शामिल होना रहा था। शर्मा ने गोगोई के खिलाफ बगावत करते हुए बीजेपी का दामन थामा था और वह फिलहाल असम के उप-मुख्यमंत्री हैं। मणिपुर में भी बीजेपी की मजबूत स्थिति की वजह कांग्रेसी नेताओं का बीजेपी में शामिल होना और उसके परंपरागत वोट बैंक में सेंध लगना है।

पूर्वोत्तर के राज्य दो अहम कारणों से बीजेपी और आरएसएस के एजेंडे पर रहे हैं। संघ को लगता है कि मनमुताबिक सरकार नहीं होने की वजह से पूर्वोत्तर के राज्यों में ईसाईयों की आबादी तेजी से बढ़ी है और वह इसके लिए धर्मांतरण को जिम्मेदार मानते रहे हैं।

दूसरा बीजेपी हमेशा से सीमावर्ती इलाकों में राष्ट्रवादी सरकार की समर्थक रही है। ऐसे में मणिपुर में बीजेपी की जबरदस्त उभार ने पार्टी और संघ दोनों के लिए मिशन पूर्वोत्तर पर मुहर लगाने का काम किया है।

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HIGHLIGHTS

  • असम में सरकार बनाने के बाद पूर्वोत्तर के दूसरे राज्य मणिपुर में बीजेपी बना सकती है सरकार
  • इंडिया टीवी-सी वोटर के सर्वेक्षण के अनुसार बीजेपी को 25 से 31 सीटें जबकि कांग्रेस को 17-23 सीटें मिलने का अनुमान है

Source : Abhishek Parashar

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