मणिपुर में पिछले 15 सालों से कांग्रेस की नैया खेते आ रहे ओकराम इबोबी सिंह इस बार के चुनाव में भी राज्य में कांग्रेस के सर्वे सर्वा हैं। तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके इबोबी सिंह को राज्य के विधानसभा चुनाव में बीजेपी से कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ा है।
इबोबी सिंह को मणिपुर में कांग्रेस का बड़ा चेहरा माना जाता है। यहां तक कि राज्य की राजनीति में आलाकमान भी उन्हीं की सुनता है। वो जनता के बीच काफी प्रसिद्ध हैं और तमाम कमियों के बाद भी इबोबी सिंह में जनता को विश्वास है। बीजेपी के अलावा उन्हें इरोम शर्मिला से भी चुनौती मिली है। इरोम इनके खिलाफ खड़ी थी औऱ वो चुनाव हार गई हैं। यहां तक कि उनकी ज़मानत ज़ब्त हो गई है।
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थउबल विधानसभा सीट से जीतते आ रहे इबोबी सिंह भले ही कांग्रेस को राज्य में अपने दम पर तीन बार सत्ता में पहुंचा चुके हों लेकिन इस बार सत्ता से थोड़ी धू र रहे गए हैं।
मणिपुर की 60 में से 28 पर कांग्रेस ने जीत दर्ज़ की है। बीजेपी को यहां पर 21 सीटें, एनपीपी को 4, एनपीएफ को 4 और अन्य को 3 सीटें मिली हैं।
राज्य में इस बार मणिपुर विधानसभा चुनाव में आर्थिक नाकेबंदी का मुद्दा हावी रहा है। साथ ही राज्य में महिला आरक्षण के विरोध में विरोध प्रदर्शन और आगजनी की हिंसा भी हुई है। जिसके कारण राज्य में इबोबी की प्रशासन क्षमता को लेकर सवाल भी उठे हैं।
बीजेपी राज्य में भ्रष्टाचार मुक्त और सुशासन के वादे के साथ चुनावी मैदान में रही। वो भी इस बार सरकार बनाने का दावा कर रही है। पार्टी ने संकेत दिये हैं कि राज्य में उसकी ही सरकार बनेगी। जाहिर है कि आने वाले समय में छोटे दलों का महत्व काफी होगा।
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पहाड़ों में नागा ट्राइब के लोग बसते हैं। मेतई समुदाय भी यहहां कफी प्रभावी माना जाता है और मणिपुर की जनसंख्या का करीब 60 फीसदी मेतई समुदाय से आते हैं।
यहां पर चुनावी मुद्दे बाकी राज्यों से अलग हैं। मुख्यमंत्री इबोबी सिंह मेतई समुदाय से आते हैं। पहाड़ों में बसे नागा समुदाय का इनसे हमेशा ही विरोध रहा है। उनकी शिकायत रहती है कि राज्य सरकार उन लोगों पर ध्यान नहीं देती।
बीजेपी राज्य में भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर इबोबी सिंह सरकार को कटघरे में खड़ा करती रही है। लेकिन इन सबका इबोबी ने इन आरोपो पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
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इसके साथ ही राज्य में आर्थिक नाकेबंदी को रोकने में भी इबोबी सरकार नाकाम रही है। जनता को इससे दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। इस दौरान मणिपुर की राजनीति में भूचाल सा आ गया। घाटी में पेट्रोल 350 रुपये लीटर, गैस का सिलिंडर 2,000 रुपए, आलू 100 रुपये और प्याज 50 रुपये किलो के दाम में बिका।
इसके अलावा मणिपुर में भड़की हिंसा को रोकने में भी इबोबी नाकाम रहे हैं। इबोबी कांग्रेस में टूट को भी रोकने में नाकामयाब रहे। इसके विधायक और नेता बीजेपी में शामिल हुए है।
राज्य में समुदायों का भी टकराव है। इन सभी मुद्दों को बीजेपी साधने में रही थी और इससे निपटना कांग्रेस से ज्यादा ईबोबी सिंह के लिये भी बड़ी चुनौती रही है।
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Source : Pradeep Tripathi