RCB Victory Parade: मातम में बदला आरसीबी की जीत का जश्न, 11 मासूमों को भगदड़ में गंवानी पड़ी अपनी जान
सेशेल्स की रोमांचकारी यात्रा से लौटी महिला सैन्य अधिकारियों ने कहा, 'अब हम किसी तरह की चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं'
ज्योति मल्होत्रा को 9 जून को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत में किया जाएगा पेश
आधार वेरिफिकेशन नहीं कराया तो बंद हो सकता है आईआरसीटीसी अकाउंट
Breaking News: जातीय जनगणना की तारीख देश में सामने आई
RCB Victory Parade Stampede: यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद है, भगदड़ क्यों हुई इसकी जांच हो: ओवैसी
संसद के विशेष सत्र की मांग पर अग्निमित्रा पॉल का विपक्ष पर तंज, 'उन्हें नहीं पता कि क्या करना है'
उत्तराखंड : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मौजूदगी में सचिवालय में तीन अहम समझौते
बिहार के दरभंगा में शहीद सूरज नारायण सिंह की स्मृति सभा में शामिल होंगे सीएम नीतीश, आनंद मोहन ने की भारत रत्न की मांग

जानें क्यों मणिपुर की आयरन लेडी इरोम शर्मिला को लोगों ने चुनाव में नकार दिया

मणिपुर की जनता ने इरोम शर्मिला का हमेशा साथ तो दिया, लेकिन उन्हें अपना कीमती वोट नहीं दिया। आखिर क्यों? यह सवाल अब वाजिब है जब उन्हें चुनाव नतीजों के बाद नोटा से 53 वोट कम कुल 90 वोट ही मिले।

author-image
Shivani Bansal
एडिट
New Update
जानें क्यों मणिपुर की आयरन लेडी इरोम शर्मिला को लोगों ने चुनाव में नकार दिया

इरोम शर्मिला को क्यों नहीं मिले वोट? (फाइल फोटो)

मणिपुर की जनता ने इरोम शर्मिला का हमेशा साथ तो दिया, लेकिन उन्हें अपना कीमती वोट नहीं दिया। आखिर क्यों? यह सवाल अब वाजिब है जब उन्हें चुनाव नतीजों के बाद नोटा से 53 वोट कम कुल 90 वोट ही मिले।

Advertisment

3 मार्च को इंफाल की यात्रा के दौरान मैने अपने ड्राइवर से पूछा कि, 'क्या इरोम शर्मिला जीत रहीं हैं।' उसने मेरी तरफ देखा और कहा, 'शर्मिला को कुल 30 वोट ही मिल पाएंगे।' इस जवाब ने मुझे चौंका दिया।

मणिपुर की आयरन लेडी इरोम चानू शर्मिला ने जब राजनीति में उतरने का फैसला किया और जब इसका नतीजा सामने आया तो यह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया की उम्मीदों के उलट ही था, लेकिन मणिपुर के लोगों के दिमाग में यह हकीकत बिल्कुल साफ थी। 

16 साल पहले जब शर्मिला ने राज्य में आफ्स्पा (आर्म्ड फोर्सज़ स्पेशल पावर एक्ट) के खिलाफ उपवास शुरु किया तो बहुत जल्द वो सुर्खियों में आ गई थी। 16 साल इरोम इंफाल के जेएनआईएमएस के स्पेशल वार्ड में बंद रखा गया। हर साल 1 दिन के लिए उन्हें रिहा किया जाता था दूसरे ही गिरफ्तार करने के लिए।

मणिपुर में बीजेपी को समर्थन के लिए एनपीएफ की शर्त, सभी 4 विधायकों को बनाएं मंत्री

इन 16 सालों में इरोम की आफ्स्पा हटाने के खिलाफ संघर्ष को देश के साथ पूरी दुनिया ने देखा। कई सामाजिक संगठनों ने भी इरोम का साथ दिया। इनमें से एक संगठन 'इरोम शर्मिला सॉलेडिट्री ग्रुप' हर साल शर्मिला के समर्थन में एक दिन के लिए जेएनआईएमएस के बाहर भूख हड़ताल पर बैठता था। 

इन 16 सालों में इरोम मणिपुर के लोगों के लिए आदर्श बन गई थी। लेकिन फिर उन्होंने भूख हड़ताल ख़त्म करने का ऐलान किया और 16 साल से चल रहा उपवास तोड़ दिया। इसके बाद ऐसा क्या हुआ कि इरोम मणिपुर के लोगों के दिल से उतर गईं और उनके बीच पनपा अपने लिए प्यार खो बैठीं।

दरअसल इरोम शर्मिला ने यह प्यार उसी दिन खो दिया था जब उन्होंने अपनी भूख हड़ताल ख़त्म की थी। हालांकि यहां यह जानना बेहद ज़रुरी है कि मणिपुर के लोग इरोम शर्मिला के साथ उनकी भूख हड़ताल की वजह से नहीं बल्कि उनकी उस लड़ाई के साथ जुड़े थे जो वो राज्य के 1528 मासूम लोगों की आफ्स्पा एक्ट के तह्त हुई मौत के खिलाफ लड़ रही थी। 

इरोम राज्य से आफ्स्पा एक्ट हटाने के लिए लड़ रही थी, एक ऐसा एक्ट जो किसी को भी शक की बिनाह पर आर्मी को गोली चलाने का अधिकार देता है। जिससे राज्य में कई मासूम लोगों को जान गवांनी पड़ी है।

गोवा और मणिपुर में बीजेपी की सरकार बनाये जाने को लेकर संसद में विपक्ष का वॉकआउट

जब प्रेस कॉन्फ्रेंस में इरोम ने अपनी हड़ताल ख़त्म करने की वजह बताई तो इससे पूरा मणिपुर के साथ पूरा देश सन्न हो गया। इरोम ने बताया कि वो अपनी हड़ताल इसीलिए ख़त्म कर रही हैं क्योंकि वो शादी करना चाहती है। 

यह एक वाक्य मणिपुर के लोगों को इरोम के प्रति सारे लगाव से दूर ले गया और इसका जवाब राज्य की जनता ने मतदान के ज़रिए दिया। मैंने एक वरिष्ठ पत्रकार से बात की जो इरोम शर्मिला को पिछले 16 साल से कवर कर रहे थे

उन्होंने बताया कि, 'शर्मिला ने मणिपुर के लोगों को धोख दिया और ऐसे में उन्हें वहीं मिला जिसकी वो हक़दार थी। जिसे मणिपुर राज्य एक आदर्श के तौर पर देखता था उसने सिर्फ भूख हड़ताल इसीलिए तोड़ दी क्योंकि वो शादी करना चाहती थी। उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा कि उनकी आदर्श अपनी लड़ाई या विरोध को सिर्फ इसीलिए ख़त्म कर दिया क्योंकि उनके अपने निजी कारण थे।' 

मणिपुर, गोवा में सरकार गठन को लेकर कांग्रेस ने लोकसभा में कहा, यह सदन के लिए काला दिन

जबकि एक और वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि, 'इरोम ने अपनी हड़ताल ख़त्म करने के लिए मणिपुर के लोगों से नहीं पूछा। वो एनजीओ समेत कई बाहरी लोगों के दबाव में थी।' जब मैने यह जानना चाहा कि उन्होंने इतनी जल्दी राजनीति में आने का ऐलान कर दिया तो वहां मौजूद एक और वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि, 'लोगों को इरोम शर्मिला का यह कदम बस एक डैमेज कंट्रोल के जैसा लगा। जब उन्हें यह एहसास हुआ कि उन्होंने एक बहुत बड़ी ग़लती कर दी है तो उन्होंने इसे सुधारने की कोशिश की।'

मणिपुर के आम जनता के मुताबिक इरोम ने आफ्स्पा मुद्दे का मज़ाक बनाया और अपने लंबे समय के बॉय फ्रैंड देसमॉन्ड कॉथिन्हो जो कि लंदन में रहते है उससे शादी करने के लिए यह राजनीतिक ड्रामा किया है। लोगों को पता था कि वो चुनाव नहीं जीतेंगी। इरोम शर्मिला ने अपने एक गलत बयान से अपना सारा जनाधार खो दिया।

देश से जुड़ी और ख़बरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

Source : Anirudha Bhakat

Assembly Election 2017 Manipur Irom Sharmila
      
Advertisment