महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का कार्यभार संभाल रही मेनका गांधी ने मानव विकास संसाधन मंत्रालय को पत्र लिख बच्चों की डिग्री और सर्टिफिकेट पर पिता के नाम को अनिवार्य न करने की बात कही है।
यह बात महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने सिंगल मदर को ध्यान में रखकर कही है। इससे पहले मेनका गांधी ऐसी ही मांग पासपोर्ट से जुड़े एक मामले में भी विदेश मंत्रालय से कर चुकी हैं। इस बार यह मांग उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से की है।
केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने कहा है कि पिछले कई समय से कई महिलाओं, सिंगल मदर, सेपरेटेड या तलाकशुदा महिलाएं उनसे संपर्क कर ऐसी मांग कर रही थी। जो बच्चों के पिता का नाम (देने की अनिवार्यता) दिए बगैर बच्चों का डिग्री या सर्टिफिकेट नहीं ले पा रही थी।
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मेनका गांधी ने जावड़ेकर को लिखे ख़त में यह समझाने का प्रयास किया है कि सरकार को संबंद्ध-विच्छेद (शादी टूटने) जैसे संवेदनशील मुद्दों को समझना चाहिए और इस वास्तविकता को समझते हुए नियमों में बदलाव करने चाहिए।
बता दें कि इससे पहले भी महिला एवं विकास मंत्री मेनका गांधी ऐसी ही अपील विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से भी कर चुकी हैं।
तब यह मामला पासपोर्ट इश्यू करने का था। उन्होंने ख़त के ज़रिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को लिख प्रियंका गुप्ता के एक केस के बारे में बताया था। जिसमें उक्त महिला के पति ने बच्ची पैदा होने के तुरंत बाद उसे छोड़ दिया था। ऐसे में भी पासपोर्ट अधिकारियों ने बच्ची के पिता का नाम न लिखे होने के चलते पासपोर्ट बनाने से मना कर दिया था।
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महिला एवं बाल विकास मंत्री ने इस मुद्दे को उठाते हुए बात की और कहा कि जब सिंगल मदर ऐसी बातों को साझा करने में सहज महसूस नहीं करती तो ऐसे में क्यों उनसे इस प्रकार की 'अपमानजनक' जानकारियों की मांग की जाती है।
इसके तुरंत बाद, एक अंतर-मंत्रिस्तरीय समिति बनाई गई और इसमें बच्चे के पिता के नाम की अनिवार्य रूप से जानकारी या पति-पत्नी के नाम की जानकारी लिखने की छूट देने के निर्देश देने के सुझाव दिए गए। यह सुझाव विदेश मंत्रालय द्वारा स्वीकार कर लिए गए।
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Source : News Nation Bureau